मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मंगलवार को रांची में 10 जून 2022 को हुई हिंसा मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अपटूडेट स्टेटस रिपोर्ट टेबुलर रूप में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मेन रोड हिंसा में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस घटना को बड़ी हिंसा में परिवर्तित होने से रोक दिया था। पुलिस ने पहले हिंसक भीड़ पर लाठी चार्ज किय। इसके बाद आंसू गैस का उपयोग किया। जब हिंसा फैलाने वालों ने पथराव और फायरिंग शुरू की, तो मजिस्ट्रेट के आदेश से पुलिस ने कंट्रोल्ड फायरिंग शुरू की। जिससे भीड़ तीतर बीतर हो गई थी। उक्त घटना को लेकर पुलिस ने 47 प्राथमिकी दर्ज की। इनमें से कई केस में चार्जशीट दाखिल हो गई है और कुछ केस में अभी लंबित है। इसमें से एक प्राथमिकी जिसमें पुलिस पर फायरिंग का आरोप है, उसे सीआईडी जांच के लिए भेजा गया था। सीआईडी जांच में भी हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। अभी और अनुसंधान चल रहा है। उक्त घटना को लेकर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का भी अध्ययन करते हुए अन्य आरोपियों को चिन्हित किया है। उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है।
दूसरी ओर घटना को लेकर फेसबुक, गूगल मैप और सोशल मीडिया से भी डाटा प्राप्त करने की कोशिश हो रही है और उपलब्ध डाटा को खंगाल जा रहा है। अनुसंधान सही तरीके से की जा रही है, इसलिए इसमें भी किसी दूसरी एजेंसी के हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। वहीं एनआईए के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एनआईए सिर्फ शेड्यूल ऑफेंस होने पर ही अनुसंधान करती है। लेकिन इस घटना में अभी तक अनुसंधान में ऐसी बात नहीं आई है। कोर्ट ने मामले में प्रार्थी एवं प्रतिवादियों को अगली सुनवाई में संक्षिप्त बहस दायर करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। उस दिन कोर्ट अपना आदेश सुनाएगी।
बता दें कि, रांची हिंसा मामले में दायर पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया है। अदालत से मामले की एनआईए जांच कराकर झारखंड संपत्ति विनाश और क्षति निवारण विधेयक 2016 के अनुसार आरोपियों के घर को तोड़ने का आदेश देने का आग्रह किया है। याचिका में रांची की घटना को प्रायोजित बताते हुए एनआईए से जांच करके यह पता लगाने का आग्रह किया है कि किस संगठन ने फंडिंग कर घटना को अंजाम दिया। नुपुर शर्मा के बयान पर जिस तरह से रांची पुलिस पर पत्थर बाजी हुई, प्रतिबंधित अस्त्र शस्त्र का प्रयोग हुए, धार्मिक स्थल पर पत्थरबाजी की गए, यह प्रायोजित जैसा प्रतित लगती है।
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