हाईकोर्ट में सोमवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने रांची के टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर के संरक्षण एवं केंद्र सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का आग्रह करने वाली सोसाइटी ऑफ प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राईबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी की जनहित याचिका पर सुनवाई की । इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि टैगोर हिल का ब्रह्म मंदिर राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने योग्य नहीं है। इसके लिए कुछ मापदंड होते हैं। जो ब्रह्म मंदिर पूरा नहीं करता है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कोर्ट को बताया की भारतीय पुरातत्व विभाग के अप्रूवल के बाद टैगोर हिल के मरम्मत एवं मेंटेनेंस के लिए 69 लाख 30 हजार रुपए राज्य सरकार ने स्वीकृत कर दिया है। राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार, केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इनसे पूछा था, की टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर के संरक्षण एवं इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं ।
क्या है मामला :
प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर 113 साल पुराना है। जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर ने बनवाया है। यह ब्रह्म मंदिर आज जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ा और खंडित हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा इसके संरक्षण और देखभाल का कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। इस मंदिर को संरक्षण और केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
टैगोर हिल्स ऐतिहासिक ब्रह्म मंदिर संरक्षण का मामला : राष्ट्रीय धरोहर के मापदंडों को यह पूरा करता या नहीं, हाईकोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित
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