पटरियों पर बैठक कर किया विरोध, मुरी रेललाइन पूरी तरह से जाम
कुडमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करें : शीतल ओहदार
झारखंड में मुरी, गोमो, नीमडीह, घाघरा रेलवे स्टेशन और ओडिशा के हरिचन्दनपुर, जराइकेला, भंजपुर रेलवे स्टेशन में संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन रेल जाम कर दिया गया था। वही कोलकाता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य में खेमासुली रेलवे स्टेशन एवं कुस्तौर रेलवे स्टेशन में होने वाली रेल जाम पर रोक लगा दी। जिसके कारण पश्चिम बंगाल में आंदोलन को स्थगित कर देना पड़ा। ये बातें बुधवार को टोटेमिक कुडमी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कही। उन्होंने कहा कि 25 सितम्बर को झारखंड के मुख्य सचिव से वार्ता और भारत सरकार के गृह सचिव से 2अक्टूबर को वार्ता को लेकर लिखित आश्वासन दिया गया है। जिसके बाद आंदोलन समाप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद किसी को नुकसान पहुंचा नहीं है। हम शांतिपूर्वक आंदोलन किए हैं। इसकी जानकारी पहले से प्रशासन को दी गई थी।
उन्होंने कहा कि कुडमी महतो जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची और कुडमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर रेल टेका आंदोलन शुरू किया गया। जिसमें हजारों हजार की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, छऊ नाच, पाता नाच, नटुवा नाच, घोड़ा नाच एवं झूमर नाच, ढोल -नगाड़े एवं गाजे-बाजे के साथ शामिल हुए। कुडमी समाज अब जाग चुका है। अपने हक अधिकार के प्रति लड़ना जानता है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक चलने वाली संसद का विशेष सत्र में कुडमी महतो को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दें।
इण्डिया गजट नोटिफिकेशन में कुडमी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट माना
शीतल ओहदर ने कहा कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इण्डिया गजट नोटिफिकेशन नः 550 में 2 मई 1913 में कुडमी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियो को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1865 के प्रावधानो से मुक्त रखा गया। इसके साथ ही 16 दिसम्बर 1931को प्रकाशित बिहार -उड़िसा गजट नोटिफिकेशन नः 49 पटना में भी साफ उल्लेख किया कि बिहार व उड़िसा में निवास करने वाले मुण्डा, उरांव, संथाल, हो, भुमीज, खड़िया, घासि, गौंड, कांध, कौरआ, कुड़मी, माल, सौरिआ और पान को प्रिमिटिव ट्राइव मानते हुए भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1925 से मुक्त रखा गया है। उन्होंने कहा कि कुड़मी जनजाति को सेन्सस रिपोर्ट 1901के भोल्यम (1) पेज 328-393, सेन्सस रिपोर्ट 1911के भोल्यम (1) पेज 512 और सेन्सस रिपोर्ट 1921के भोल्यम (1) पेज 356-365 में स्पष्ट तौर पर कुड़मी जनजाति को अवोरिजनल एनिमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया। वही, पटना हाई कोर्ट के कई जजमेंट में भी कुडमी को जनजाति माना है।