देश में राज्यसभा सीटों की कुल संख्या 245 हैं। अप्रत्यक्ष रूप से 233 सीटों पर चुनाव किया जाता है। इसके साथ ही राष्ट्रपति 12 सदस्यों को मनोनित करती हैं। वहीं, झारखंड से राज्यसभा के लिए छह सीटे है। इसके मद्देनजर झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 21 मार्च को वोटिंग होगा। इसी दिन परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी।
दरअसल राज्यसभा सदस्य कांग्रेस कोटे से धीरज साहू और बीजेपी से समीर उरांव का कार्यकाल तीन मई को खत्म हो रहा है। जिसके वजह से इन दो सीटों पर चुनाव होगा। राज्यसभा चुनाव में ना तो गुप्त मतदान होता है और ना ही ईवीएम का प्रयोग होता है। वही, राज्यसभा चुनाव का ढांचा थोड़ा अलग होता है।
राज्यसभा सीटें आवंटित होने की प्रक्रिया
राज्यसभा सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। जिस राज्य में जितनी जनसंख्या है, उस राज्य को उसी हिसाब से सीटें मिलती है। इसके साथ ही राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 31 सीटें राज्यसभा की हैं।
चुने हुए सदस्यों का कार्यकाल
राज्यसभा एक स्थाई सदन है। ये कभी भंग नहीं हो सकता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के बाद रिटायर हो जाते हैं। जिसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरु की जाती है। राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। इनका कार्यकाल निश्चित होता है।
वही, लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है। यह अस्थाई सदन है। भारतीय संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुसार संसद और राज्य विधान मंडल के निचले सदन (लोकसभा और विधान सभा) अस्थायी माने गए हैं। वही, निचले सदन भंग किए जा सकते हैं।
इस प्रक्रिया से होता है राज्यसभा चुनाव
लोकसभा और विधानसभा से राज्यसभा चुनाव बिल्कुल ही अगल है। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। राज्यसभा सदस्यों का चुनाव सीधे जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि (विधायक) राज्यसभा सदस्यों को चुनते हैं। यानी जिस पार्टी के जितने अधिक विधायक होंगे, चुनाव में उस पार्टी की उतनी ही स्थिती मजबूत होगी।
इस फॉर्मूला से होता है राज्यसभा के लिए वोटिंग
राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए वोटों की संख्या, कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा सीटों की संख्या के आधार पर निकाली जाती है। इसमें एक विधायक की वोट की मुल्य 100 होती है। राज्यसभा चुनाव के लिए एक फॉर्मूला का उपयोग किया जाता है। इसमें कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है। इसके बाद राज्य में जितनी राज्यसभा की सीटें हैं उसमें एक जोड़ कर भाग (Division) दिया जाता है। इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है। जिसके बाद फिर अंत में जो संख्या निकलती है। वही, उम्मीदवारों को जीत के लिए चाहिए होता है।