झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में हजारीबाग में दिसंबर 2019 में एक नाबालिग को उसके परिचित द्वारा एसिड पिलाये जाने के मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि आरोपी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति हजारीबाग में निचली अदालत से प्राप्त हो चुकी है। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 अगस्त को पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से मामले के अनुसंधान से संबंधित अपटूडेट जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। सुनवाई के दौरान मामले के अनुसंधानकर्ता कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। कोर्ट में एमिकस क्यूरी अपराजिता भारद्वाज ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की. बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि पिछले आदेश के आलोक में पीड़िता का इलाज रिम्स में हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने मामले में हजारीबाग डीसी को निर्देश दिया था कि वह पीड़िता के आगे का ट्रीटमेंट रिम्स (रांची) में करायें। उसके इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
क्या है मामला
दरअसल, वर्ष 2019 में हजारीबाग में एक 13 साल की बच्ची जब स्कूल से लौट रही थी तो उसके परिचित ने जबरदस्ती उसे एसिड पिला दिया था। जिससे उसकी हालत काफी बिगड़ गई थी। बाद में उसका एम्स पटना और रांची के रिम्स में बच्ची का इलाज हुआ था। एसिड पिलाए जाने से 2 महीने तक बच्ची कुछ बोलने में असमर्थ थी। जिसके बाद मामले को लेकर हजारीबाग के इचाक थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वही मामले को लेकर तत्कालीन चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा गया था। जिसके बाद एक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर ने इस मामले में स्वत संज्ञान लिया था।
नाबालिग को उनके परिचित ने एसिड पिलाया,कोर्ट के लिया स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर हुई सुनवाई
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