झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस एस चंद्रशेखर एवं जस्टिस अनुभा रावत चौधरी खंडपीठ में साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों के पैसे की वापसी मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई हुई। खंडपीठ ने झारखंड में साइबर फ्रॉड की घटनाओं पर गंभीर दिखी। सरकार से पूछा है कि सरकार साइबर ठगी के शिकार लोगों को तात्कालिक राहत के लिए उनके पैसे वापसी के लिए फंड बनाने पर क्या कर रही है। सुनवाई के दौरान सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता मौजूद थे। उन्होंने कोर्ट को झारखंड में साइबर क्राइम की जांच प्रणाली, साइबर सेल सहित साइबर फ्रॉड रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। वही महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार साइबर क्राइम की घटनाओं को लेकर चिंतित है। झारखंड सरकार गुजरात मॉडल से भी बेहतर एक मॉडल बनाने को लेकर प्रयासरत है। जिससे साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों को पैसा वापसी से राहत मिले। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक कहा कि सरकार यह देखे कि साइबर फ्रॉड को कैसे विराम लगाया जाए, उसके शिकार लोगों के खाते में पैसा कैसे भेजा जाए, इसके लिए एक स्कीम तैयार की जानी चाहिए। सरकार इस संदर्भ में एक प्रपोजल तैयार कर शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करें। अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने मौखिक कहा कि साइबर फ्रॉड के लिए झारखंड के जामताड़ा इलाका काफी चर्चित है। इसलिए इसके रोकथाम एवं साइबर क्राइम के पीड़ितों को पैसा वापस देने के लिए झारखंड से एक बेहतर पहल होनी चाहिए। कोर्ट ने मामले में इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर से भी सुझाव मांगा है। उससे पूछा है कि साइबर क्राइम रोकने के लिए क्या प्रणाली है, लोगों की पैसे वापसी में उसकी क्या भूमिका हो सकती है।