हाईकोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय एवं जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में बुधवार को राज्य के जेलों के ऐतिहासिक धरोहर के रखरखाव एवं जेल मैनुअल से जुड़े स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि आजादी के पूर्व से बने जेल जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था। उसमें उन स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े कागजात और उसके अन्य उपयोग किए गए वस्तुओं को संरक्षित और संबंधित करने के लिए क्या किया गया है। अदालत ने हजारीबाग सेंट्रल जेल के बारे में पूछा है कि यह जेल 1800 ई से है। लेकिन इसका जो रिकॉर्ड है वह 1911 से ही पता चल रहा है, तो अदालत में जानना चाहा कि 1911 से पूर्व 1800 का रिकॉर्ड को कैसे रखा गया है। राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से अद्यतन जानकारी पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को तय की गई है।
वही, सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में धनबाद जेल में हुई हत्या की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की गई। पूर्व में अदालत के आदेश से राज्य के लिए बनाए गए नए जेल मैनुअल भी तैयार किया गया है। जो रिकॉर्ड पर है। कोर्ट मित्र के द्वारा जो सुझाव दिए गए हैं, उसे भी दायर कर दिया गया है।
बता दें कि मामले में एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को पूर्व में बताया था कि राज्य सरकार का यह रवैया पिछले कई वर्षों से चल रहा है। जैसे ही हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होती है। तो वे आकर बताते हैं कि शीघ्र ही जेल मैनुअल तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन होता नहीं है। वर्ष 2019 में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर कहा गया था कि जेल मैनुअल तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन 4 वर्ष बीत जाने के बाद अभी तक जेल मैनुअल नहीं बना। उन्होंने अदालत को यह जानकारी दी कि केंद्र सरकार वर्ष 2016 में जेल मैनुअल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इसी तर्ज पर यह मैनुअल बनाने का निर्देश भी दिया था। देश के अन्य कई राज्यों में मॉडल जेल मैनुअल बनकर तैयार हो गया। लेकिन झारखंड में अभी तक तैयार नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान जेल रिफॉर्म के लिए कई दिशा निर्देश दिए थे।