कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के बाद शुक्रवार को मंत्रिपरिषद की पहली बैठक प्रोजेक्ट भवन में हुई। इसकी अधय्क्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त मंत्रियों के साथ विभागीय कार्यों समेत अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचारों से अवगत कराया।
जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नवनियुक्त मंत्रियों को मंत्रिपरिषद् में भेजे जाने वाले प्रस्ताव को पहले खुद देखने, राजस्व प्राप्ति, विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित और अधिनस्थ अधिकारी व कर्मचारी के प्रोन्नति समेत अन्य विषयों पर अधिक सजग रहने के साथ-साथ समीक्षा करने की बात कहीं हैं।
बैठक में मंत्री वित्त विभाग राधा कृष्ण किशोर, मंत्री परिवहन विभाग दीपक बिरुवा, मंत्री अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग चमरा लिंडा, मंत्री श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग संजय प्रसाद यादव, मंत्री स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग रामदास सोरेन, मंत्री स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग इरफान अंसारी, मंत्री जल संसाधन और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग हफीजूल हसन, मंत्री ग्रामीण विकास विभाग दीपिका पांडेय सिंह, मंत्री पेयजल एवं स्वच्छता विभाग योगेंद्र प्रसाद, मंत्री नगर विकास एवं आवास विभाग सुदिव्य कुमार और मंत्री कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग शिल्पी नेहा तिर्की मौजूद समेत अन्य उपस्थित थी।
बैठक को समझे 17 पॉइंट में..
# मंत्रिपरिषद में भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर पहले स्वयं संतुष्ट हो। वित्त, विधि व कार्मिक विभाग से समन्वय स्थापित करें ताकि तय समय में मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव को लगा जा सकें।
# मंत्री अपने-अपने विभाग के जिला और क्षेत्रीय कार्यालय में जाकर विभागीय कार्य की समीक्षा करें। विभागीय योजना के लाभुकों से मुलाकात कर फीडबैक हासिल करें।
# विभागीय कार्यकलाप का समीक्षा करें। सभी योजनाओं को समझ कर उसके पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट का अध्ययन करें।
# राजस्व बढ़ाने वाले वैसे विभाग जहां बेहतर संभावनाएं हैं, वे राजस्व स्रोत की समीक्षा कर राजस्व प्राप्ति की बढ़ोत्तरी के लिए प्रस्ताव तैयार करें।
# भवन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर वाली योजना की विशेष समीक्षा करें ताकि बनाये गये भवन का वास्तविक इस्तेमाल हो सकें। अनावश्यक भवन समेत अन्य योजनाओं को नहीं लिया जाये।
# वर्ष 202 के मद्देनजर योजनाओं की रूप-रेखा तैयार करें।
# अधिनस्थ अधिकारी और कर्मचारी के प्रोन्नति की स्थिति की समीक्षा और प्रोन्नति प्रदान करें।
# पदस्थापना समीक्षा और कम जरूरी के आधार पर एडजस्टमेंट करें।
# आप्त सचिव, निजी स्टाफ रखते समय उसकी पृष्ठभूमि जरूर देख लें। जिससे यह सुनिशिचत किया जा सके कि विवादित कर्मी को मंत्री कार्यालय में स्थान नहीं पायें।
# कोर्ट केस मामले की समीक्षा करें, जिससे सरकार केस कम से कम हारे।
# अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर भी हर जिला में भ्रमण करें। लोगों से मिलकर वहां की समस्या (खासकर अपने विभाग से संबंधित) को निपटारा के लिए प्रयासरत रहें।
# क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बारे में क्षेत्र भ्रमण के क्रम में फीडबैक प्राप्त करें। जिसके बारे में मुख्यमंत्री (मुझे) भी समय-समय पर अवगत कराएं।
# स्थानीय जन प्रतिनिधियों से मिलने के लिए तिथि का निर्धारण करें। इससे सभी को सहुलियत होगी।
# सभी विभाग के मंत्री समय-समय पर अपने उपलब्धियों के विषय में प्रेस के प्रतिनिधियों को प्रेस वार्ता कर जानकारी उपलब्ध कराते रहेंगे।