दोषी इंजीनियर राम बिनोद को गबन मामले में तीन से सजा बढ़ाकर की गई सात साल
सरकारी धन का दुरुपयोग मामले में दोषी बर्खास्त इंजीनियर राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह की अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई है। जेएम कोर्ट ने कहा था कि दोषी को और अधिक कठोर सजा की आवश्यकता है। इसके बाद सजा बढ़ाने के बिंदु पर लगभग दो महीने तक सीजेएम कोर्ट में सुनवाई हुई। साथ ही उस इंजीनियर पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सिविल कोर्ट के इतिहास में पहला मौका जब किसी दोषी अभियुक्त को सजा बढ़ाने के लिए न्यायिक दंडाधिकारी(जेएम) की अदालत ने सीजेएम कोर्ट में रिकॉर्ड को स्थानांतरित किया था।
सीआरपीसी की धारा 325 की शक्तियों का प्रयोग
न्यायिक दंडाधिकारी धृति धैर्या की अदालत ने सीआरपीसी की धारा 325 के तहत प्रावधान शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिकॉर्ड को आगे की कार्रवाई के लिए सीजेएम कोर्ट में स्थानांतरित किया था। रिकॉर्ड को स्थानांतरण करते हुए अदालत ने कहा कि दोषी अभियुक्त की अपराध की प्रकृति और सरकारी धन गबन की विशालता को देखते हुए, अभियुक्त को और अधिक कठोर सजा देने की आवश्यकता है। सुनवाई के दौरान एपीपी सिद्धार्थ सिंह ने भी कठोर कारावास की मांग की थी।
ये है मामला :
जूनियर इंजीनियर राम बिनोद प्रसाद सिन्हा के खिलाफ 1.76 करोड़ रुपये सरकारी राशि गबन के आरोप में कोतवाली थाना(कांड संख्या 242/11) में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। यह मामला ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, रांची(एनआरईपी-2) की ओर से 24 जून 2011 को की गयी थी। जिसमें अभियुक्त ने कार्य पूरा नहीं किया और ना ही शेष राशि विभाग को वापस किया।अभियुक्त राम बिनोद सिन्हा ने स्वास्थ्य चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन तीन योजनाओं (ककरिया, बंता एवं रनिया) के लिए चेक के माध्यम से 1.76 करोड़ रुपये की निकासी कर ली।