बैंक धोखाधड़ी से जुड़े 17 साल पुराने एक मामले में जय अंबे इंडस्ट्रीज प्रा. लि. के निदेशक राजेंद्र सिंह एवं उसके सहयोगी सुशील कुमार कर्ण को दोषी पाकर तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला सीबीआई के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी प्रवीण उरांव की अदालत ने शुक्रवार को सुनाया। दोनों आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 70 वर्षीय अभियुक्त राजेंद्र सिंह अदालत में मेडिकल सुविधा के साथ आया था। दोनों पर साजिश रचते हुए धोखाधड़ी करने का आरोप था। सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार आरोपी राजेंद्र सिंह को वर्ष 2003 में स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट के तहत कार्य आदेश मिला था। उस कार्य को संपादित करने के लिए उसने अपर बाजार रांची स्थित देना बैंक से ₹50 लाख का लोन लिया। इसका गारंटर उसने अपने कर्मचारी सुशील कर्ण को बना दिया था। बाद में आरोपी राजेंद्र सिंह ने उक्त कर्ज की राशि बैंक को वापस नहीं किया। इस धोखाधड़ी की घटना को लेकर बैंक के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक महेश कुमार झा ने 2006 में सीबीआई में मामला दर्ज कराया। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 15 गवाहों का बयान दर्ज कराया गया था।