अंगूठा लगाने वाला का किया फर्जी हस्ताक्षर, प्रयोगशाला जांच में जालसाजी पकड़ा गया
नि:शक्त सह लगवाग्रस्त बड़े भाई की पुश्तैनी जमीन तीन भाईयों ने फर्जी हस्ताक्षर कर हिनू स्थित पांच डिसमिल से अधिक जमीन हड़प लेने का मामला प्रकाश में आया है। इसको लेकर अशोक कुमार ने अपने चाचा और साजिश में सहयोग करने को लेकर उनके रिश्तेदार के खिलाफ मुकदमा किया है। रांची की निचली अदालत ने दर्ज शिकायत पर शिकायतकर्ता के चाचा महेंद्र प्रताप, जितेंद्र प्रताप व वीरेंद्र प्रताप के साथ मेन रोड स्थित कुलदीप संस ज्वेलर्स के संचालक सुनील कुमार वर्मा और छोटे भाई सुरेंद्र कुमार वर्मा के खिलाफ संज्ञान ले लिया है। अदालत ने यह संज्ञान जालसाजी कर संपत्ति हड़पने के मामले में लिया है। वहीं अदालत ने आरोपियों की पीड़क कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग को भी ठुकरा दिया है। इससे आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई है। जानकारी हो कि सुनील व सुरेंद्र दोनों स्व. कुलदीप कुमार वर्मा के बेटे हैं एवं महेंद्र प्रताप का रिश्ते में साला लगता है। जमीन की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक है। उस जमीन पर अपार्टमेंट बनाया जा रहा है।
फॉरेंसिक जांच में पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
अशोक कुमार ने दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया है कि मेरे पिताजी राघवेंद्र प्रताप की मृत्यु दिसंबर 2007 में हो गई है। उनका बायां हाथ साल 1959 में नौकरी के दरम्यान कट गया था। दिसंबर 1977 में उनका बाईपास सर्जरी हुआ और लकवा के शिकार हो गए। साल 1999 में वह हस्ताक्षर करने में असमर्थ होने के कारण कागजात में अंगूठा लगाते थे। लेकिन चाचाओं ने मिलकर 10 मई 2002 को एक फर्जी पारिवारिक बंटवारानामा बनाया। जिसमें पिताजी का जाली हस्ताक्षर करके मेरे हिस्से की जमीन हड़पने का कोशिश किया। यह जानकारी 2017 में हुई। इसका खुलासा पांच जुलाई 2022 को हुआ। फर्जी हस्ताक्षर की जांच कोलकाता स्थित दस्तावेज फॉरेंसिक एक्सपर्ट से करवाया। जहां फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके बाद वकील अनिल कुमार सिंह महाराणा के माध्यम से मई 2023 में केस दर्ज किया है।
कोट : अनिल कुमार सिंह महाराणा, शिकायतकर्ता के वकील
जाली हस्ताक्षर कर जमीन हड़पने को लेकर मुकदमा किया गया है। जिस पर अदालत ने कुलदीप संस ज्वेलर्स के संचालक सुनील कुमार वर्मा समेत पांच आरोपियों के खिलाफ संज्ञान ले लिया है। साथ ही अपर न्यायायुक्त एमके वर्मा की अदालत ने आरोपियों की पीड़क कार्रवाई पर रोक के अनुरोध को खारिज कर दी है। फर्जीवाड़ा का पुख्ता सबूत अदालत को सौंपा गया है।