सीबीआई की धनबाद टीम ने सीसीएल में कार्यरत क्लर्क को उठाकर अपने साथ ले गयी। सीसीएल कथारा वाशरी में कार्यरत कार्मिक विभाग के क्लर्क सुरेश ठाकुर को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। लिखित शिकायत में सेवानिवृत्त कर्मचारी गोपीनाथ मांझी ने आरोप लगाया था कि क्लर्क सुरेश ठाकुर ने एरियर भुगतान के एवज में 25,000 रुपये रिश्वत की मांग कर रहा हैं। जिस पर सेवानिवृत्त कर्मचारी ने पैसा देने में असमर्थता जतायी। लेकिन हां.. ना.. हां..ना.. करते करते वह क्लर्क 15,000 रुपये पर राजी हुआ हैं।
जिसकी शिकायत सेवानिवृत्त कर्मचारी गोपीनाथ मांझी ने सीबीआई के धनबाद कार्यालय की। जिसके बाद सीबीआई ने कार्रवाई करते हुये उसे गिरफ्तार कर लिया।
दरअसल सुरेश ठाकुर ने सेवानिवृत्त कर्मचारी गोपीनाथ मांझी से एरियर को भुगतान करने के एवज में रिश्वत की मांग की थी। जिसके बाद सीबीआई की टीम ने शिकायत की जांच की, जिसको सत्य पाया गया। वहीं, सीबीआई ने क्लर्क को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया। जिसमें क्लर्क फंस गया। और उसे रिश्वत के पैसों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
क्या है मामला..
सेवानिवृत्त कर्मचारी पेटरवार के चापी अम्बा टोला का गोपीनाथ मांझी निवासी हैं। वे विगत कई दिनों से अपने एरियर भुगतान के लिए ऑफिस का चक्कर लगा रहे थे । जहां उनके काम को जानबूझकर अटका दिया गया था। गोपीनाथ मांझी ने 16 दिसंबर 2022 को पीओ को आवेदन दिया था, लेकिन दो साल से अधिक हो जाने के बाद भी उनका एरियर भुगतान नहीं किया गया।
दरअसल गोपीनाथ मांझी का कहना है कि रिश्वत लेने के चक्कर में भुगतान नहीं किया जा रहा था। हर बार कोई ना कोई बहाना बनाकर उनके काम को टाल दिया जाता था। जिसके बाद थकहार कर गोपीनाथ मांझी यूनियन नेता रामविलास रजवार के पास गये। इस दौरान मांझी ने यूनियन नेता को उनके साथ हुये घटना के बारे में अवगत कराया। उनकी बातों को सुनने के बाद यूनियन नेता ने गोपीनाथ मांझी को सीबीआई के पास जाने की सलाह दी। जिसके बाद परेशान होकर उनकी सलाह को मानते हुये धनबाद में गोपीनाथ मांझी ने शिकायत दर्ज कराई।
सीबीआई ने गोपीनाथ मांझी और रामविलास रजवार के सहयोग से जाल बिछाया। टीम ने केमिकल युक्त 15,000 रुपये का नोट रामविलास रजवार को दिया। जिसको क्लर्क सुरेश ठाकुर को दिया गया। इस दौरान जैसे ही सुरेश ठाकुर ने नोट को अपने हाथों से पकड़ा, सीबीआई की टीम ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उसका हाथ धुलवाया गया। जहां केमिकल वाले नोटों के रंग उसके हाथों में भी लगा था। जिसके माध्यम से रिश्वत लेने की पुष्टि कर ली गयी। वहीं, सीबीआई की टीम पहले तो उससे पीओ ऑफिस में घंटों पूछताछ की गयी। जिसके बाद टीम क्लर्क को अपने साथ धनबाद उठा कर ले गयी।