झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में देवघर एम्स में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव एवं एम्स देवघर के निदेशक को अगली सुनवाई एक सितंबर को तलब किया है। वर्चुअल रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले प्रार्थी के वकील ने राज्य सरकार की ओर से पूर्व में दायर शपथ पत्र पर का प्रत्युत्तर दिया। उनकी ओर से कहा गया कि मामले में पथ निर्माण विभाग, बिजली विभाग, फायर विभाग सहित अन्य विभागों ने अलग- अलग जवाब दाखिल किया है, लेकिन इन जवाबों में एम्स द्वारा उठाए गए बिंदुओं का सटीक जवाब नहीं मिल रहा है। सरकार के सक्षम अधिकारियों द्वारा देवघर एम्स को लेकर प्रार्थी द्वारा उठाए गए समस्याओं पर स्पष्ट जवाब आना चाहिए था। इसके बाद कोर्ट ने देवघर एम्स निदेशक और मुख्य सचिव को वर्चुअल रूप से कोर्ट के समक्ष अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई एक सितंबर निर्धारित की। मालूम हो कि राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग ने मामले में शपथ पत्र दाखिल किया है, इसमें बताया गया है की एम्स ने अपना गेट का स्थान नहीं बताया है। इस कारण एम्स के लिए अप्रोच रोड नहीं बन पा रहा है। प्रार्थी ने देवघर एम्स में इलेक्ट्रिक सबस्टेशन बनने, अप्रोचिंग रोड बनने, फ्लाईओवर बनने, आवश्यकतानुसार पानी की व्यवस्था होने, फायर सेफ्टी की पर्याप्त व्यवस्था आदि की सुविधा मुहैया कराने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया है। याचिका में सांसद निशिकांत दुबे की ओर से कहा गया है देवघर एम्स में कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उनकी ओर से कोर्ट से देवघर एम्स के लिए पर्याप्त बिजली, पानी, पहुंच सड़क, फायर ब्रिगेड वाहन आदि की सुविधा उपलब्ध कराने का आग्रह कोर्ट से किया गया है।