हाईकोर्ट ने दाखिल जनहित याचिका पर सुनाया अपना फैसला, टैगोर हिस से अतिक्रमण हटाने का भी है निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने राजधानी रांची स्थित टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर के संरक्षण एवं केंद्र सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि टैगोर हिल के ब्रह्म मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के संबंध में भारतीय पुरातत्व विभाग तीन माह में फिर से निर्णय लें। यह जनहित याचिका सोसाइटी ऑफ प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राईबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी ने दायर की गई थी। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने कोर्ट में पैरवी की। आदेश में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि टैगोर हिल से अतिक्रमण हटाया जाए। राज्य सरकार का भूराजस्व विभाग एक समिति बनाए, जिसमें टैगोर हिल के बाउंड्री की मापी की जाएगी। इसके बाद टैगोर हिल के बाउंड्री वॉल को इसके ओरिजिनल स्वरूप में लाया जाए। बाउंड्री वॉल के सर्वे के लिए बनाई जाने वाली समिति में रांची उपायुक्त द्वारा मनोनीत सदस्य रहेंगे।
राज्य सरकार टैगोर हिल के रखरखाव के अलावा वहां महिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर एवं विकलांग के लिए शौचालय की व्यवस्था भी करें। लेकिन शौचालय बनाते समय यह ध्यान रखा जाए कि टैगोर हिल के धरोहरों के बीच में यह ना आए सरकार टैगोर हिल का संरक्षण करें और इसकी साफ सफाई व्यवस्था बनी रहे इस पर ध्यान दें टैगोर हिल का क्षेत्र प्लास्टिक मुक्त हो ऐसी व्यवस्था बनाई जाए। पीने के पानी पर्यटकों के बैठने की सुविधा आदि की व्यवस्था यहां रहे। कोर्ट ने माना है कि टैगोर हिल रांची का एक बहुत महत्वपूर्ण स्थल है।
ब्रह्म मंदिर 113 साल है पुराना :
दाखिल याचिका के अनुसार टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर 113 साल पुराना है, जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर ने बनवाया है। यह ब्रह्म मंदिर आज जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है और टूट रहा है, राज्य सरकार द्वारा इसके संरक्षण और देखभाल का कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। इस ब्रह्म मंदिर का संरक्षण किया जाए और केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। इसी मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी।