सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके अनुसार अब “अमान्य विवाह” के दौरान हुए बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा। इसके तहत शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अमान्य विवाह के बच्चे हिंदू कानून के तहत माता-पिता की संपत्ति पर अपना दावा ठोक सकते हैं। शीर्ष कोर्ट का यह फैसला 2011 की उस याचिका पर आया है, जो इस जटिल कानूनी मुद्दे से संबंधित थी। यानी क्या गैर-वैवाहिक बच्चे हिंदू कानूनों के तहत अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी के हकदार हैं? जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
दरअसल हिंदू कानून के अनुसार, शून्य अथवा अमान्य विवाह में पुरुष और महिला को पति-पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है। जिसके तहत यानी शून्य विवाह में विवाह को रद्द करने के मद्देनजर शून्यता की डिक्री की जरूरत नहीं होती है। वही, शून्यकरणीय की बात करे , तो विवाह में उन्हें पति और पत्नी का दर्जा तो प्राप्त है। लेकिन शून्यकरणीय विवाह में शून्यता की डिक्री की आवश्यकता है। बताते चले शून्य विवाह एक ऐसा विवाह है, जो शुरुआत से ही अमान्य है। इसको इन रुप में समझे कि विवाह अस्तित्व में नहीं है।