अगली सुनवाई 16 सितंबर को
झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ छठी जेपीएससी में रिजर्व कैटेगरी के सफल कैंडिडेट के मेरिट को कंसीडर करते हुए उनका कैडर आवंटन अनरिजर्व कैटेगरी में किए जाने से संबंधित अपील याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में जेपीएससी के द्वारा कोर्ट को बताया गया कि मेरिट के आधार पर अनरिजर्व कैटेगरी में रखे गए रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट को वापस रिजर्व कैटेगरी में लाकर उनका कैडर आवंटन करने का झारखंड में रूल नहीं है। अगर आरक्षित श्रेणी को सामान्य श्रेणी में लाए गए कैंडिडेट को वापस आरक्षित श्रेणी में लाकर उनका आवंटित किया जाता है तो रिजर्व कैटेगरी के 40 सफल अभ्यर्थियों की नौकरी चली जाएगी। वहीं प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के कुछ आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि वे रिजर्व कैटेगरी से है, लेकिन मेरिट के आधार पर वे अनरिजर्व कैटेगरी में माने गए हैं, उनका कैडर आवंटन उनके रिजर्व कैटेगरी में ही होना चाहिए। मामले में जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल, प्रिंस कुमार ने पैरवी की। वहीं प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पैरवी की। जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की। अदालत ने मामले में बहस के लिए अगली तिथि 16 सितंबर निर्धारित की है। दरअसल, यह मामला छठी जेपीएससी परीक्षा से जुड़ा है। जिसमें आरक्षित वर्ग के जो कैंडिडेट अपने योग्यता के आधार पर सामान्य वर्ग में अपनी जगह बनाए थे, उन्हें सामान्य श्रेणी में ही कंसीडर करते हुए जेपीएससी के द्वारा कैडर आवंटित किया गया था। जबकि प्रार्थी का कहना था कि कैडर आवंटन के लिए अपने सेवा का चयन के लिए उनका कंसीडरेशन आरक्षित वर्ग में ही किया जाना चाहिए था।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने जून 2021 में जेपीएससी द्वारा रिजर्व कैटेगरी वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर उनका कैडर आवंटन अनरिजर्व कैटेगरी में किए जाने को सही ठहराया था। वही प्रार्थी का कहना था कि उनका कैडर आवंटन उन्हीं की रिजर्व कैटेगरी में होना चाहिए था। प्रार्थी ने एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान पूर्व में कोर्ट ने प्रार्थी को यह बताने को कहा था कि कैसे उनका कैडर आवंटन अनरिजर्व में किया जाना अनुचित है। जेपीएससी के द्वारा बताया गया था कि नियम के अनुसार ही उनका कैडर आवंटन अनारक्षित कैटेगरी में किया गया है।