राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को झटका लगा है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने बड़ी पीठ को मामला सौंपने के फैसले टालने वाली केंद्र की मांग ठुकरा दी है। जिसके बाद राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। कोर्ट ने आईपीसी 124अ के तहत राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है। डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस आधार पर बड़ी पीठ को मामला सौंपने के फैसले को टालने वाली केंद्र की मांग ठुकरा दिया है। जिसके बाद संसद दंड संहिता प्रावधानों को फिर से लागू कर रही है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी इस पीठ में शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्टर्ड ऑफिस को सीजेआई के समक्ष कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि पीठ के गठन के संबंध में निर्णय लिया जा सके। वही, 11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए आईपीसी की धारा 124 (अ) को अंतरिम तौर पर निष्प्रभावी बना दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज नहीं हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्रवाई रोक दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून की समीक्षा करने की अनुमति दी थी। इसके साथ ही कहा था कि जब तक सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक यह अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट से केद्र को झटका, राजद्रोह कानून पर संविधान पीठ करेगा सुनवाई
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