प्राकृतिक का महापर्व सरहुल पूजा की तैयारी को लेकर सरना संघर्ष समिति ने उप कार्यालय पिस्का मोड़ में बैठक की। इसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस साल भी सरहुल पूजा पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा। इस बार 9 अप्रैल को उपावस, 10 अप्रैल को पूजा और 11 अप्रैल को जुलूस पारंपारिक ढोल, नगाड़ों और मांदर के साथ शोभायात्रा निकाला जाएगा। शोभायात्रा में महिलाएं लाल पाड साड़ी और पुरुष धोती-गंजी का प्रयोग करें। वही, 12 अप्रैल को सभी घरो में फुलखोसी की जाएगी। उन्होंने सरना धर्मालंबियों से आग्रह करते हुए कहा कि अपने – अपने घर में सरना झंडा अवश्य लगाए। इसके साथ ही सरहुल शोभायात्रा में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर तख्ती को साथ लेकर चले। उन्होंने केंद्रीय सरकार से 2025 में जनगणना पत्र पर आदिवासीयों के लिए अलग से धर्म काॅलम लागू करने की भी बात कही।
उन्होंने कहा कि त्यौहार में नशापान से दूर रहे। केलव हड़िया को प्रसाद के रूप में ही ले। इसके साथ ही अपने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य गीत करते हुए मुख्य सरना स्थल सिरोम टोली जरुर पहुंचे । राज्य सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कि सरहुल में तीन दिन का राजकीय अवकाश दिया जाए। आदिवासियों का बड़ा त्यौहार होने के नाते सरहुल शोभायात्रा में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा, सभी अखड़ा और सरना स्थल की साफ – सफाई, हर चौक चौराहों पर पुलिस बल, बिजली, शौचालय और चिकित्सक की व्यवस्था करें। इससे शोभायात्रा में शामिल लोगों को सहूलियत होगी। बैठक में संगीता गाड़ी, सती तिर्की, अनीता उरांव, शोभा तिर्की, बसंती कुजूर, भानू उरांव, गुड्डू उरांव, कुलदीप उरांव, कुईली उरांव, पार्वती लकड़ा समेत अन्य उपस्थित थे।