रंगदारी मांगने, जानलेवा हमले करने समेत अन्य मामले में आरोपी सूबे के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव समेत एक दर्जन आरोपियों को रांची की निचली अदालत ने शुक्रवार को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। साथ ही इस मामले में आशुतोष मिश्रा, महेश महतो, धीरेंद्र प्रजापति, धर्मनाथ साव, संजय दास, सुदन गंझू, सुधीर दास समेत अन्य आरोपियों को रिहा किया गया। आरोपियों के खिलाफ चतरा के टंडवा थाना में 18 जून 2015 को योगेंद्र साव समेत 60-70 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह प्राथमिकी आम्रपाली सीसीएल टंडवा के बीजीआर कंपनी के मैनेजर ने दर्ज कराई थी।
जिसमें कहा गया था कि 18 जून 2015 को दोपहर 12.30 बजे आम्रपाली कोयलीयरी में कार्य कर रहा था। उसी समय 60-70 अज्ञात व्यक्तियों के साथ हथियार से लैस होकर वहां पहुंचे। जिसके बाद कार्य बंद करने और रंगदारी के भुगतान के बिना कार्य जारी ना रखने का निर्देश दिया। जब रंगदारी के भुगतान किए बिना कार्य प्रारंभ किया, तो उनलोगों ने मैनेजर को जान से मारने की नियत से लाठी-डंडे से पीटना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं हथियार से लैस व्यक्तियों ने वहां की 38 मशीनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिससे लगभग दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इनलोगों ने कोयला परिवहन पर भी रोक लगा दी थी। लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने आरोपियों पर लगे आरोपों को साबित करने में विफल रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चतरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चल रही सुनवाई को साल 2019 में रांची भेजा गया था।