रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन के माध्यम से याचिका दाखिल कर दी हैं। दरअसल उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी हैं, जिसमें हाईकोर्ट ने चुनावी कार्य से उन्हें दूर रखे जाने पर फैसला सुनाया था।
आईएएस अधिकारी सह रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट के इस आदेश ( चुनावी कार्य से दूर रखे जाने वाले ) को रद्द करने की मांग की हैं। उपायुक्त क यह याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की हैं।
दरअसल रांची उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने निर्वाचन आयोग के 6 दिसंबर 2021 वाले आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मंजूनाथ भजंत्री को राहत देते हुये आयोग के कदम को सही नहीं ठहराया था। जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ आयोग ने एक बार फिर हाईकोर्ट का रुख किया। जहां आयोग ने एलपीए दायर की थी। इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान 30 सितंबर 2024 को दिये गये अपने फैसले में आयोग के उस आदेश को सही ठराया था। और कहा कि आयोग का निर्देश मानना राज्य के लिए बाध्यकारी हैं। आदेश नहीं मानना मतलब संविधान की मूल ढांचे पर प्रहार करने जैसा हैं। इसी फैसले के खिलाफ मंजूनाथ भजंत्री सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
क्या है मामला
यह मामला मधुपुर उपचुनाव से जुड़ा हुआ हैं। उपचुनाव के दौरान देवघर उपायुक्त के पद पर मंजूनाथ भजंत्री थे। देवघर के उपायुक्त पद पर रहते हुये मंजूनाथ भजंत्री को चुनाव आयोग ने वोटर टर्न आउट एप और प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलग-अलग आंकड़े देने के आरोप में पद से हटा दिया था। लेकिन चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर से देवघर का उपायुक्त बना दिया। इन सब के बीच उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे पर एक प्राथमिक की दर्ज कराई थी। जिसके बाद राज्य सरकार से मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने इस बाबत उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री से स्पष्टीकरण मांगा था। जिसका जवाब मंजूनाथ भजंत्री ने दिया।
वहीं, आयोग को जो उपायुक्त ने जवाब दिया था, उस मसले पर आयोग को संतोषजनक जवाब नहींं मिला। जिसके बाद आयोग ने 6 दिसंबर 2021 को उन्हें देवघर के उपायुक्त पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही भविष्य में आयोग के बिना अनुमति चुनाव कार्य में मंजूनाथ भजंत्री को शामिल नहीं करने का निर्देश भी दिया था। इस दौरान तत्कालीन राज्य सरकार ने मंजूनाथ भजंत्री को पद से नहीं हटाया। इन सब के बीच राज्य सरकार ने 23 दिसंबर 2021 को चुनाव आयोग को पत्र लिखा। जिसमें कहा कि आयोग अपने आदेश वापस लें। इसके पीछे सरकार का तर्क यह था कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद आदेश देने का अधिकार आयोग को नहीं होता हैं। इसलिए चुनाव आयोग को उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ उस आदेश को वापस ले लेना चाहिए। जिसमें उपायुक्त को बिना अनुमति के चुनाव कार्य में शामिल करने की बात कही गयी हैं।