सिविल कोर्ट रांची में पोक्सो एक्ट के तहत इस साल अब तक 177 मामलों में जांच अधिकारी ने जांच पूरी करते हुए आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें से 77 मामलों में फैसला आ चुका है। वर्तमान में लगभग 100 मामले लंबित है। यहां समाज के सामने सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि पीड़िता या उसके परिजन की ओर से जिस आरोप को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है। जब अदालत में उस घटना को सही बताने का समय आता तो कई पीड़िता मुकर जा रही है। उनके मुकरने के बाद अभियोजन पक्ष आरोप को स्थापित करने में असफल हो जाते है। नतीजा आरोपियों को छोड़ना पड़ता है। यह लगातार हो रहा है। जबकि प्राथमिकी दर्ज होने के अगले दिन सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी पीड़िता का बयान बंद कमरे में दर्ज करती है। बयान में पीड़िता अपने साथ घटी घटना के बारे में बताती है। इतना ही नहीं मामले के जांच अधिकारी घटना को सही बताते हुए ठोस सबूत के साथ आरोपियों के खिलाफ समय सीमा के अंदर चार्जशीट दाखिल करते हैं। बावजूद इसके अदालत में गवाही के दौरान घटना को ही फर्जी बताया जाता है। यहां तक कि पीड़िता अदालत में कहती है कि मुझसे सादे कागज में हस्ताक्षर लिया गया था। उसमें क्या लिखा गया है इसकी जानकारी नहीं है। पीड़िता के इस हरकत से अदालत भी परेशान है। पीड़िता के पूर्व के बयान से पलटने के कारण अदालत को मजबूरन आरोपियों को बरी करना पड़ता है। जो एक गंभीर समस्या का रूप ले रहा है। एक सप्ताह में आठ मामलों के आरोपियों के बरी होने पर विधि विशेषज्ञ की माने तो पोक्सो एक्ट वसूली का धंधा बनता जा रहा है। आठ मामलों के आरोपी दुष्कर्म के आरोप में जेल में थे। आठ मामलों में दो मामले ऐसा है जिसमें पोक्सो कोर्ट ने सिर्फ चार सप्ताह में फैसला सुनाया है। पीड़िता सिर्फ चार से पांच महीने में ही पूर्व के बयान से मुकर गई।
छह दिनों में आठ मामलों के आरोपी रिहा :
धुर्वा कांड संख्या के आरोपी बीरेंद्र सिंह बिंझिया
इटकी थाना कांड संख्या के आरोपी एक्स
नामकुमा थाना कांड संख्या के आरोपी सुखराम मुंडा उर्फ रिरा मुंडा
जगनाथपुर थाना कांड संख्या के आरोपी निरूपम पाल
सोनाहातू थाना कांड संख्या के आरोपी बुधु उर्फ बसुदेव मुंडा
बेड़ो थाना कांड संख्या के आरोपी तैयब अंसारी उर्फ तयब राय
चुटिया थाना कांड संख्या के आरोपी अमरेश कुमार
अरगोड़ा थाना कांड संख्या के आरोपी कुलदीप भगत