झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को देवधर के पूर्व उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने एवं चुनावी कार्यों से उन्हें अलग रखने के इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं पर बहस हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तिथि निर्धारित की है। मामले में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रार्थी के पास इस मामले को हाइकोर्ट के अलावा सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में ले जाने का भी विकल्प है। वहीं प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ कोई प्रोसिडिंग कभी शुरू ही नहीं हुई है। इसलिए इस मामले को कैट में ले जाना उचित नहीं है। प्रार्थी की ओर से इस रिट पिटिशन सर्विस (डब्लूपी एलएस) को रिट पिटिशन सिविल (डब्लूपीसी) में बदलने के लिए कोर्ट के समक्ष आवेदन दिया गया है। इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया की ओर से बताया गया है कि मंजूनाथ ने मधुपुर उपचुनाव के दौरान दुर्भावना व राजनीति से प्रेरित होकर सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ पांच प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसलिए इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए और आनेवाले चुनाव में इन्हें इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त रखा जाए। मंजूनाथ भजंत्री ने दायर याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग, भारत सरकार ने उन पर विभागीय कार्रवाई चलाने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि आनेवाले किसी चुनाव से उन्हें अलग रखा जाए। जबकि चुनाव आयोग को राज्य सरकार के अधिकारी के खिलाफ इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।