अदालत ने मंगलवार को मिड डे मील घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपए मनी लॉउन्ड्रिंग करने के मामले के आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के पार्टनर बिल्डर संजय कुमार तिवारी समेत तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित कर दिया है। ईडी के विशेष न्यायाधीश दिनेश राय की अदालत में आरोप गठन के बिंदु पर सुनवाई के दौरान तीनों आरोपी मौजूद थे। अदालत ने संजय तिवारी, सुरेश कुमार एवं राजू कुमार वर्मा के ऊपर लगे आरोप के बारे में पूछा। तीनों ने अपने आपको निर्दोष बताया। कहा आगे मामले में ट्रायल फेस करेंगे। इसके बाद अदालत ने तीनों पर आरोप तय किया। साथ ही मामले में ईडी को आरोप साबित करने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। संजय तिवारी समेत तीनों आरोपी जेल में है। अदालत ने पिछले दिनों तीनों की डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर दी थी। आरोपी संजय तिवारी मनी लाउंड्रिंग मामले में जेल में है। ईडी ने उक्त आरोप में 22 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है। जेल में रहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसे बैंक को पैसा लौटाने की शर्त पर 43 दिनों की अंतरिम जमानत की सुविधा प्रदान की थी। लेकिन वह इसका दुरुपयोग किया था। जानकारी हो कि झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से करीब 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के पार्टनर बिल्डर संजय कुमार तिवारी, एसबीआई हटिया ब्रांच के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अजय उरांव और सुरेश कुमार के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सीबीआई ने मिड डे मील घोटाले के मामले में अगस्त 2017 में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की थी। जबकि ईडी 2021 में मुकदमा दर्ज किया है।
फर्जी सर्टिफिकेट दे हुआ था फरार
संजय तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से प्रोविजनल बेल मिली थी। जिसकी अवधि 25 मार्च को ही समाप्त हो गयी थी। उसे 25 मार्च को कोर्ट में सरेंडर करना था। पर वह सरेंडर करने की बजाय रिम्स से कोरोना का फर्जी सर्टिफिकेट बना कर ईडी कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया। ईडी की ओर से जब इसकी जांच रिम्स भेज कर करायी गयी तो पता चला कि कोरोना का सर्टिफिकेट फर्जी है। कोरोना का फर्जी सर्टिफिकेट देने और ईडी की ओर से सर्टिफिकेट की जांच कराने के बीच के समय का फायदा उठा कर संजय तिवारी फरार हो गया था।
रिम्स अधीक्षक ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी
फर्जी कोविड-19 रिपोर्ट मामले में रिम्स के अधीक्षक डॉ हीरेन्द्र बिरुआ ने संजय तिवारी पर बरियातू थाना में एफआईआर दर्ज कराया था। संजय तिवारी ने रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के नाम पर फर्जी कोविड जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया था. इस रिपोर्ट को विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा फर्जी बताया गया। बरियातू थाना प्रभारी ज्ञान रंजन ने बताया था कि फर्जी कोविड रिपोर्ट मामले में केस दर्ज कर किया गया है। इसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच के बाद पुलिस ने सर्टिफिकेट बनाने में शामिल दो लोगों को गिरफ्तार किया।
एक सौ करोड़ रुपये का मिड डे मील घोटाला : संजय तिवारी समेत तीन पर आरोप तय
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