धुर्वा स्थित न्यायिक अकादमी झारखंड में रविवार को राज्यस्तरीय त्वरित एवं गुणवत्ता युक्त साइबर अपराध के निष्पादन को लेकर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में राज्य के वरीय न्यायिक पदाधिकारी, वरीय, पुलिस पदा अतिथिज्ञान एवं लोक अभियोजक, सहायक लोक अभियोजक की सहभागिता रही। सम्मेलन के मुख्य अतिथि झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने सेमिनार का उद्घाटन किया। मौके पर उन्होंने ने तकनीकी की नवाचार के प्रयोग से दोषसिद्धि की दर को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए मामले के अनुसंधानकर्ताओं को तकनीकी रूप से दक्ष होना होगा। तभी मामले में दोषसिद्धि की दर बढ़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने आईओ को साइबर अपराधियों से दो कदम आगे की सोच रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि समय के बदलते दौर के साइबर कानून के परिप्रेक्ष्य में भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सेक्शन 65B के प्रयोग का उल्लेख भी किया।
झारखंड न्यायिक अकादमी के निदेशक ने साइबर अपराध से जुड़ी चुनौतियों का व्यौरा देते हुए इस दिशा में न्यायिक पदाधिकारी, वकील एवं पुलिस विभाग को एक साथ मिलकर काम करने का सुझाव दिया। इसके साथ साइबर अपराधियों को पकड़ने में आनेवाली कठिनाइयों का उल्लेख किया। प्रथम तकनीकी सत्र में एसीपी साइबर अपराध-शुद्ध- विभाग, नई दिल्ली के जितेंद्र सिंह अतिथि प्राध्यापक के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने वर्तमान में साइबर अपराध और उनके निवारण के लिए भारत कानून एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के ऊपर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने न्यायिक अकादमी झारखंड के इस प्रयास की प्रशंसा की। जहां इसके सभी अंशधारक उपस्थित रहें। द्वितीय सत्र में सीनियर एक्सक्यूटिव लीगल सीडैक पटना की अंतरा झा ने साइबर अपराध के निवारण को लेकर जागरूकता फैलाने पर प्रकाश डाला। सेमिनार में राज्य के न्यायिक पदाधिकारियों, वकीलों, विधिक विद्यार्थियों, संबंधित वरीय पुलिस पदाधिकारियों समेत अन्य उपस्थित थे।