राष्ट्र निर्माण और इतिहास लेखन पर सेमिनार, वक्ताओं ने रखे अपने विचार
इतिहास सदैव इतिहास रहता है। वह विनष्ट नहीं हो सकता है। अब समय आ गया है कि हमारे मूल इतिहास को उभार कर नए इतिहास लेखन को आगे लाया जाए। उक्त बातें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय ने शनिवार को एएन कॉलेज पटना के सत्येन्द्र नारायण सिन्हा सभागार में आयोजित सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि इतिहास एक विषय के रूप में केवल अभिलेख अथवा कहानियां नहीं है। इसको एक वृहत सामाजिक उद्देश्य के रूप में राष्ट्र का निर्माण के दिशा में देखा जाना चाहिए। उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता के तौर पर सेमिनार में अपनी विचाकों को रखा। यह सेमिनार को इतिहास विभाग, एएन कॉलेज और पटना एवं इतिहास संकलन समिति बिहार ने संयुक्त रुप से आयोजित की। जिसका विषय राष्ट्र निर्माण और इतिहास लेखन था।
महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ प्रवीण कुमार ने कहा कि इतिहास को पुनर्मूल्यांकित और नवीन खोजों के लिए उत्प्रेरित करना जरुरी है। प्रोफेसर माला सिंह ने कहा कि हमारे प्राचीन भारतीय संस्थाओं की महानता समग्र रूप से स्थापित नहीं की गयी है। हमारी मूल संरचना पर राष्ट्र निर्माण के लिए इतिहास लेखन की आवश्यकता है। वही, सेमिनार में डॉ.संजीत लाल और डॉ रत्ना अमृत ने भी अपने विचारों को रखा। इस मौके पर इतिहास संकलन योजना से डॉ हेमंत धींग मजुमदार, कमलेश दास, प्रो राजीव रंजन, महाविद्यालय के बरसर प्रो अनिल कुमार सिंह, प्रो प्रियरंजन सिंह,डॉ आयुष आनंद, डॉ वरूण, डॉ विद्याभूषण, डॉ प्रभा कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।