पलामू सेंट्रल जेल से कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को गिरिडीह जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। पिछले एक वर्ष से अमन साव पलामू सेंट्रल जेल में बंद था। जहां से उससे गुरुवार को पलामू सेंट्रल जेल से गिरिडीह शिफ्ट किया गया है। इसके साथ ही पालमू सेंट्रल जेल के जेलर प्रमोद कुमार ने गुरुवार को अमन साव को गिरिडीह जेल शिफ्ट करने की पुष्टि की है।
बता दें कि एनआईए की टीम ने बुधवार (19 जून) के आहले सुबह कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके साथ ही पूर्व में भी एटीएस ने भी जांच के दौरान खुलासा किया था कि अमन साहू और कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का तार एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।
वहीं, अब अमन साव का नाम अपराधिक गतिविधियों में इंटरनेशनल स्तर पर सामने आ रहा है। एनआईए जांच कर रही है कि गैंगस्टर अमन साहू और लॉरेंस बिश्नोई दोनों ही जेल में बंद है। लेकिन इसके बावजूद ये दोनों एक दूसरे के संपर्क में कैसे आये। इसके बीच वह कौन सी कड़ी है, जो इन दोनों को संपर्क कराने में अहम रही है।
इससे पहले भी पलामू सेंट्रल जेल से अमन साव को गिरिडीह भेजा जा चुका है। पलामू सेंट्रल जेल के अधीक्षक को दो साल पहले अमन साव ने धमकी दी थी। जिसके बाद अमन साव को पलामू सेंट्रल जेल से ट्रांसफर कर गिरिडीह जेल भेजा गया था।
जेल में रहकर भी अमन साव का अपराध की दुनिया में है दखल
अमन साव जेल में है, लेकिन उसकी हनक अपराध की दुनिया में पहले जैसा ही मौजूद है। वह जब, जहां चाहे जेल में रह कर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है। जेल में रहते हुये अपराधिक दुनिया में अमन का कद लगातार बढ़ रहा है। झारखंड के विभिन्न जिलों में अमन साव पर एक सौ से भी अधिक एफआईआर दर्ज है।
पलामू पुलिस ने तकरीबन ढाई वर्ष पहले अमन साव से पूछताछ की थी। जिसमें उसने पुलिस से एक इच्छा जाहिर की थी। उसने पुलिस से कहा था कि वह देश का सबसे बड़ा डॉन बनना चाहता है। जिस पर देश में सबसे अधिक एफआईआर दर्ज हो।
पढ़ने में तेज था अमन, मैट्रिक में लाया 78 प्रतिशत मार्क्स
पुलिस ने 20 पन्नों का बयान कोर्ट में दिया है। जिसके अनुसार अमन साहू और अमन साव दोनों एक हैं। अमन साहू का जन्म रांची जिला के बुंढ़मू के मतवे गांव में 1995 में हुआ था। उसने मैट्रिक की परीक्षा 2010 में दी थी। जिसमें उसने 78 प्रतिशत मार्क्स हसिल की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह पंजाब के मोहाली में गया। जहां उसने डिप्लोमा इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एवं कंप्यूटर साइंस से 62 प्रतिशत अंक के साथ पास किया। डिप्लोमा के बाद वह वापस घर वापस लौट आया।
इस दौरान उसकी मुलाकात झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई थी। यहीं से उसने अपनी लाइन को बदला और अपराध की दुनिया में पहला कदम रखा। 2015 में एक कांड में संलिप्त होने की वजह से उसे जेल भेज दिया गया। जहां पर उनकी दोस्ती सुरजीत सिंह और मयंक सिंह से हुई। जिसके बाद से उसका अपराधिक दुनिया में दखल शुरु हो गया। और देखते ही देखते उसने अपराधिक गिरोह को खड़ा कर दिया।
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