रांची और आसपास प्रकृति पर्व करमा सोमवार को खुशी के साथ मनाया गया। सुबह से ही युवाओं में उमंग देखे जा रहे थे। इस दौरान आदिवासी परंपरा का अनोखा संस्कृति देखने को मिला। युवतियां-महिलाएं जहां लाल पाड़ की साड़ी पहनकर, वही पुरुष धोती के साथ गंजी पहने पूजा में शामिल होने पहुंचे। करमा को लेकर बच्चों का उत्साह देखते ही बन रहा था। वही, दोपहर बाद से ही वर्षा शुरु हुई। इसके बावजूद करमा पर्व के उत्साह में कोई कमी नहीं आयी। हर ओर खुशी और उल्लास का वातावरण रहा।
राजधानी के हर गली मुहल्लों में करमा की धूम देखने को मिली। रात भर अखड़ा में रौनक बनी रही। रिमझिम बारिश के बीच शहर के दर्जनों अखड़ा में करम डाली स्थापित कर अपने रिति रिवाजों से बहने पूजा करती नजर आई। जिसके बाद पाहनों ने करम-धरम की कथा सुना कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। बहनों ने भाईयों की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखकर पूजा में शामिल हुई। करम देव से अच्छे फसल की कामना की गई। रातभर नाच-गान चलता रहा। इससे पूर्व संध्या में ढोल-तासा के साथ बहनें नजदीक के बगीचा पहुंची जहां पहले करम वृक्ष की पूजा की गई। इसके बाद करम वृक्ष की तीन डालियां काटकर अखड़ा में लाया गया। कहीं पाहन तो कहीं पुजारियों ने करम डाली को अखड़ा में स्थापित कर पूजा की शुरुआत की।
रंग-बिरंग पुष्पों से अखड़ा सजकर तैयार था
करमा पूजा के लिए खास तौर पर अखड़ा की भव्य सजावट की गई थी। मंडप के आसपास युवक-युवतियों की टोलियों में नाच गा रहे थे। गीत संगीत से पूरा वातावरण करमा पूजन की रंग में रंग चुका था। रंग-बिरंगे पुष्प, पेड़ की डालियों से पूजा मंडप को सजाया गया था। जगमग करती इलेक्ट्रिक लड़ी अखाड़ों में चार चांद लगा रही थी।
जैसे जैसे दोपहर बीत रहा था,अखड़ों में भीड़ बढ़ते रहे
दोपहर के बाद शाम ढलने के साथ ही अखड़ा की रौनक बढ़ती गई। रात आठ बजे के बाद अधिकतर अखड़ा में पूजा शुरु हो गयी। वर्षा के बावजूद भीड़ अखाड़ों मेें डटी रही। रात भर अखड़ा के बाहर मेला जैसा नजारा रहा। खाने-पीने के स्टाल से लेकर खिलौनों के दुकानें सजी हुई थी। पूजा में शामिल होने वाले लोग स्वादिष्ट व्यंजनों भी मौजूद थे। सबसे ज्यादा भीड़ वीमेंस कालेज, करमटोली, सिरमटोली, चडरी, अरगोड़ा, हिनू, धुर्वा, चुटिया, बरियातु समेत अन्य अखड़ा में रही।