सीपीएम राज्य कार्यालय में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य सह पूर्व सांसद डॉ रामचंद्र डोम ने कहा कि सुभाष मुंडा केवल जमीन कारोबारी रहते तो उनकी हत्या पर इतना जनाक्रोश नहीं होता। उनकी शव यात्रा में पूरे इलाके से बड़ी संख्या में लोग और महिलाएं शामिल नहीं होतीं । उन्होंने इस निर्मम हत्याकांड की हर पहलू से जांच कराने और दोषियों को एक समय सीमा के अंदर गिरफ्तार कर सजा दिलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सुभाष मुंडा दलादली इलाके में कम्युनिस्ट आंदोलन की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके दादा शुक्रा मुंडा एक भूतपूर्व सैनिक थे और युद्ध में उन्होंने अपना एक पैर गंवाया था। सेना से रिटायर होने के बाद वे कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ गए थे और इस इलाके में आदिवासियों और दूसरे गरीबों के शोषण के खिलाफ हमेशा संघर्ष करते रहते थे। उन्हीं से प्रेरणा लेकर रांची के पंचपरगना क्षेत्र में गरीबों और आदिवासियों की भूमि हड़पने वाले महाजनों के खिलाफ 70 और 80 के दशक में एतिहासिक संघर्ष चला था।
उन्होंने कहा कि संघर्ष के बाद इलाके के बड़े भू-स्वामियों से आदिवासियों की हड़पी गई जमीन की वापसी करायी गई। जिसमें सुभाष मुंडा के खानदान को उनकी पुश्तैनी जमीन वापस मिली। उसी जमीन पर सुभाष मुंडा ने अपनी आजीविका के लिए कुछ दुकानों और भवन निर्माण करवाया था। दावा किया है कि सुभाष मुंडा को जमीन कारोबारी बताने की बातें तथ्यहीन हैं। सुभाष मुंडा आदिवासियों की हड़पी हुई जमीन को वापस दिलाने और जमीन की लूट के खिलाफ हमेशा मुखर रहते थे। दलादली चौक पर श्रद्धांजलि सभा तीन अगस्त को
माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि इस विभत्स हत्याकांड के खिलाफ सीपीएम सहित अन्य वामदलों, समाजिक संगठनों, जनसंगठनों व सिविल सोसायटी द्वारा राज्यव्यापी विरोध का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में तीन अगस्त को दलादली चौक पर श्रद्धांजलि सभा होगी। इस सभा को वामदलों के राज्य नेतृत्व के अलावा सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा कारात भी संबोधित करेंगी।
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