भाजपा की सदस्यता लेने के बाद चंपई सोरेन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आदिवासी की आवाज को दबाया है। झारखंड को जिस उद्देश्य से अलग किया है। उस उद्देश्य को पूर करने कि लिए भाजपा के साथ काम करेगे। हम झारखंड राज्य के आंदोलनकारी हैं। इसलिए आप लोगों को विश्वास दिलाते है कि आदिवासी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। जिस पार्टी को हमने गुरुजी के साथ बनाया था, उससे हम अकेले ही निकले हैं। आज से मेरे जीवन की नयी पारी की शुरुआत हो गयी हैं।
उन्होंने कहा कि झारखंड के विकास, आदिवासी और मूलवासी के अस्तित्व की रक्षा मेरी प्राथमिकता में से एक है। इसलिए तो हम संघर्ष करते रहे है। आज हां बांग्लादेशी घुसपैठ अहम मुद्दे है। इसपर भाजपा ही रोक लगा सकती है। इसलिए मैंने दूसरा दल में जाने का नहीं सोचा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रति मेरा विश्वास है।
उन्होने कहा कि जासूसी लगाने के पीछे क्या कारण था, वह मेरे समझ से परे है। मेरे जैसा सादा आदमी जो बड़ा दिल खोल कर बोलता है, उसके पीछे जासूसी लगाना बड़ा दुख का बात है। तब से मेरा मन और भी मजबूत हो गया भाजपा के साथ जाने को लेकर।
दरअसल धुर्वा के शाखा मैदान में आयोजित अभिनंदन मिलन समारोह में शुक्रवार (30 अगस्त) को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया है। उनके साथ उनका पुत्र बाबूलाल सोरेन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। समारोह में मुख्य रुप से शामिल होने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा रांची पहुंचे।
उन्होंने चंपई सोरेन और उनके बेटे को भाजपा की सदस्यता दिलायी। साथ ही उन्होंने बीजेपी का पट्टा पहना कर गर्म जोशी के साथ स्वागत किया। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी की सदस्यता पत्र चंपई सोरेन को दी। जिसके बाद चंपई सोरेन अब अधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गये है।
वही, इस समारोह से पूर्व चंपई सोरेन को आयोजन स्थाल तक ले जाने के लिए उनके आवास पर नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश पहुंचे थे। जिसके बाद अपन काफिला के साथ चंपई सोरेन समारोह के लिए निकले। इस दौरान भारी संख्या में उनके समर्थक खास तौर पर ग्रमीण क्षेत्र से महिलाओं की टोली पहुंची थी।
वहीं, कार्यक्रम में सांसद विद्युत महतो, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, प्रदेश संगठन प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, संगठन मंत्री कर्मवीर, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, सांसद सह रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, विधायक सीपी सिंह, नवीन जयसवाल, गीता कोड़ा, सीता सोरेन, मधु कोड़ा, समेत बीजेपी नेता व कार्यकर्ता शामिल थे।
चंपई सोरेन ने अपने दम पर कोल्हान की माटी से राजनीतिक जमीन को तराशा..
झारखंड में चंपई सोरेन की राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। अपने संघर्ष के बदौलत वे आज अदिवासी नेता के बड़ा चेहरा के तौर पर देखे जाते है। इस बात से आप समझ सकते है कि उनका दूर-दूर तक कोई राजनीतिक पृष्ठूभूमि नहीं थी। उन्होंने अपने दम पर कोल्हान की माटी से राजनीतिक जमीन को तराशा है। झारखंड राज्य आंदोलन में चंपाई सोरेन ने 90 के दशक में कदम रखा था। यहां से उनकी राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। हांलाकि इस वक्त तक चंपई सोरेन ने किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइंन नहीं किया था।लेकिन उनका राजनीति में कदम रखने की शुरुआत यही से हुई थी। कोल्हान में उनको झारखंड टाइगर के नाम से जाना जाता है। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से चंपई सोरेन ने अबतक छह बार जीत दर्ज कर चुके है। वहीं, सिर्फ एक बार उन्होंने सरायकेला विधानसभा से साल 2000 में चुनाव हारा था।
ऐसा रहा चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री तक बनाने का राजनीतिक सफर..
#जिलिंगगोड़ा गांव निवासी पिता स्व. सिमल सोरेन खेती किसानी किया करते थे।
#उनके चार बच्चों में बड़े बेटे का नाम चंपई सोरेन है।
# चंपई सोरेन का जन्म नवंबर 1956 में हुआ।
#चंपई भी अपने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाते थे।
#सरकारी स्कूल से 10वीं क्लास तक चंपई ने पढ़ाई की।
#इस बीच उनका मानको सोरेन से विवाह हुआ।
#शादी के बाद चंपई के चार बेटे और तीन बेटियां हुई।
#इस दौरान बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठने लगी।
#शिबू सोरेन के साथ ही चंपई भी झारखंड के आंदोलन में उतर गये।
#और झारखंड टाइगर के नाम से मशहूर हुये ।
#चंपई सोरेन पहली बार वर्ष 1991 के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज कर विधायक बने थे।
#चुनाव में चंपई सोरेन ने सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराया था।
#झामुमो ने चंपई को वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव का टिकट दिया।
# जहां भाजपा के पंचू टुडू को हरा कर विधायक बने।
#भाजपा की लहर के कराण चंपई वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में अनंत राम टुडू के हाथों पहली बार हरे।
#चंपई सोरेन ने वर्ष 2005 में फिर से कमबैक किया, जिसमें उन्होंने भाजपा के लक्ष्मण टुडू को हराया।
#भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 2009 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से हराया ।
#विधानसभा चुनाव में चंपई सोरेन वर्ष 2014 और 2019 में तकरीब दस से लेकर 16 हजा वोट के मार्जिन से जीते।
#भाजपा झामुमो गठबंधन की अर्जुन मुंडा वाली सरकार में पहली बार वर्ष 2010 में कैबिनेट मंत्री बने थे।
#झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार वर्ष 2013 में मंत्री पद मिला।
#झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार वर्ष 2019 में चंपई सोरेन फिर मंत्री बने।
#जमीन घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड के 12वां मुख्यमंत्री के रूप में 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन ने शपथ ली।
#चंपई सोरेन 153 दिन तक मुख्यमंत्री रहे, हेमंत सोरेन के जेल से छुटने के बाद 3 जुलाई को उन्होंने दिया था इस्तीफा।
#झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और पार्टी से जुड़े सभी पदों से चंपई सोरेन 28 अगस्त को दिया इस्तीफा, त्यागपत्र में लिखा हम लोगों ने जंगलों, पहाड़ों एवं गांव की खाक छानी थी, आज पार्टी अपनी उसे दिशा से भटक चुकी हैं।
#भाजपा की सदस्यता चंपई सोरेन ने 30 अगस्त को अभिनंदन मिलन समारोह में ग्रहण किया।