गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा, कृष्णा नगर कॉलोनी में मंगलवार को विशेष दीवान सजाया गया। इस दौरान बाबा लखा सिंह कलेरा नानकसर वाले ने सुखमनी साहिब का पाठ किया। जिसमें उन्होंने साध संगत को श्री सुखमनी साहिब का पाठ उच्चारण और वाहेगुरु का सिमरण कराया। जिसके बाद चार दिवसीय गुरमत समागम का समापन कर दिया गया। साध संगत से गुरमत विचार सांझा करते हुए कहा कि भजो गोबिंद भूल मत जाह, मानस जनम की येही लाह गुर सेवा ते भगत कमाई तब यह मानस देहि पाई, इस देहि को सिमरे देव सो देहि भज हर की सेव। अर्थात हे जीव यह मनुष्य देह तुम्हें गुरु की सेवा और भक्ति की कमाई करने के लिए मिला है। इस देह के लिए देवी-देवता भी तरसते हैं। वह भी चाहते हैं कि हम मनुष्य शरीर को धारण करके गुरु की भक्ति कर सकें। और आप इस मूल्यवान शरीर को पाकर सिमरन के काम में आलस्य करते हैं। वाहेगुरु के सिमरन के कार्य को कल पर छोड़ते हैं, यह तेरी उस व्यक्ति वाली मिसाल है, जिसे एक साधु की सेवा करने से एक सप्ताह के लिए पारस मिला था। परंतु उसने उससे कोई भी लाभ नहीं लिया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से रोजाना सुखमनी साहिब और श्री जपुजी साहिब का पाठ करने को कहा।
उनके बाद उन्होंने कहा कि गुरुनानक के सिद्धांत नाम जपो अर्थात प्रति दिन ईश्वर का नाम जपो,वाहेगुरु का सिमरन करो तथा कीरत करो अर्थात कठिन मेहनत करके ईमानदारी से कमाओ एवं वंड के चखो। अर्थात अर्जित की गई वस्तुओं को दूसरों से साझा करो। साथ मिलकर उसका उपभोग करो और अपने जीवन में आत्मसात करने को कहा ।
मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि श्री अनंद साहिब जी के पाठ,अरदास,हुक्मनामा और कढ़ाह प्रशाद वितरण के साथ ही सत्संग सभा द्वारा आयोजित चार दिवसीय गुरमत विचार समागम की समापन हो गया है। वही, सत्संग सभा के प्रधान द्वारका दास मुंजाल और सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने बाबा लखा सिंहकलेरा नानकसर वाले, चरणजीत सिंह दिल्ली वाले, हरविंदर सिंह लाली और सुमित कलसी को गुरु घर का सरोपा देकर सम्मानित किया। मंच संचालन गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने की। दीवान समापन के बाद सत्संग सभा द्वारा संगत के लिए चाय नाश्ते का लंगर भी चलाया गया।
इनकी रही भागीदारिता
दीवान में सुंदर दास मिढ़ा, हरगोविंद सिंह, अशोक गेरा, वेद प्रकाश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, चरणजीत मुंजाल, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, मनोहर लाल मिढ़ा, सुरेश मिढ़ा, लक्ष्मण सरदाना, हरीश मिढ़ा, नानक चंद अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, पकवलजीत मिढ़ा, महेश सुखीजा, बसंत काठपाल,जीतू काठपाल, अमरजीत सिंह मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, पवनजीत सिंह, महेन्द अरोड़ा, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, राकेश गिरधर, नीरज सरदाना, ईशान काठपाल, किशन गिरधर, कुणाल चूचरा, कमल अरोड़ा, हरविंदर सिंह, कमल मुंजाल, पंकज मिढ़ा, गौरव मिढ़ा, अमन डावरा, बबली दुआ, गीता कटारिया, शीतल मुंजाल, मंजीत कौर, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा, बिमला मिढ़ा, तीर्थी काठपालिया, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, श्वेता मुंजाल, उषा झंडई, नीतू किंगर, ममता थरेजा, सुषमा गिरधर, गूंज काठपाल समेत अन्य श्रद्धालु शामिल थे।