इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के अनुसार दुनिया में हृदय रोग का 60 प्रतिशत भार अकेले भारत में है। कार्डियक अरेस्ट में हृदय अचानक काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति में हृदय की धड़कन अचानक रुक जाती है। जिसके वजह से शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में खून का बहाव बंद हो जाता है। समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। कार्डियक अरेस्ट में व्यक्ति बेहोश हो सकता है, जिसके बाद सामान्य रूप से सांस लेना बंद कर देता है। फौरन इलाज नहीं मिलने पर ऑक्सीजन की कमी के कारण कुछ ही मिनटों में दिमाग को क्षति पहुंच सकती है। यह मौत भी करण बन सकता है। हार्ट फेलियर एक क्रोनिक बीमारी है। जिसमें हृदय शरीर की जरूरत के अनुरूप खून को पंप नहीं कर पाता। यह बीमारी समय के साथ बढ़ती है। हार्ट फेलियर के आम कारणों में उच्च रक्तचाप, कोरोनरी आर्टरी रोगऔर डायबिटीज हैं।
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर के कारण
कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है। वहीं हार्ट फेलियर तब होता है, जब हार्ट खून को पूरी तरह से पंप नहीं कर पाता है। कार्डियक अरेस्ट के कारण अलग-अलग होते हैं। जिनमें कोई अन्य बीमारी जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज एरिथमिया अथवा कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट शामिल हो सकते हैं। वही, दूसरी तरफ हार्ट फेलियर अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के कारण हो सकता है। जिनसे समय के साथ हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इन बीमारियों में उच्च रक्तचाप, वॉल्व का खराब होना और मायोकार्डिटिस अथवा एंडोकार्डिटिस जैसे संक्रमण शामिल हो सकते हैं।
जाने कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
अचानक बेहोश हो जाना
नब्ज या सांस का चलना बंद हो जाना
प्रतिक्रिया न देना
सायनोसिस, जिसमें व्यक्ति की त्वचा ऑक्सीजन की कमी के कारण फींकी, नीली या ग्रे पड़ जाती है
अपनी गतिविधि पर नियंत्रण खो देना
हार्ट फेलियर के लक्षण
सांस का फूलना
भूख न लगना और मितली
हृदय की धड़कन तेज या अनियमित हो जाना
लगातार खांसी या घरघराहट बने रहना
व्यायाम करने की क्षमता कम हो जाना
सूजन और शरीर में पानी का जमा हो जाना