झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो की निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस संजय प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष सह नाला विधायक रवींद्रनाथ महतो के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद रवींद्रनाथ महतो ने राहत की सांस ली हैं।
दरअसल याचिकाकर्ता संतोष हेंब्रम ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के निर्वाचन को चुनौती दी थी। जिसमें कहा था कि उनकी विधायकी को रद्द कर दिया जाये।
वहीं, प्रार्थी का पक्ष अधिवक्ता मुकेश कुमार दुबे और विधानसभा अध्यक्ष की पैरवी अधिवक्ता अनिल कुमार और शाहबाज अख्तर ने संयुक्त रुप से की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दो गवाह जबकि रविंद्रनाथ महतो की ओर से 12 गवाहों की गवाही करायी गयी। साथ ही रविंद्रनाथ महतो ने अपने वकील के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग की ओर से दायर रजिस्टर कागजात भी कोर्ट के समक्ष पेश किये। इस दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट में रविंद्रनाथ महतो के खिलाफ जो आरोप लगाये गये थे वह निराधार पाया गया। जिसके आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता संतोष हेंब्रम की याचिका को सिरे से खारिज कर दी। और कोर्ट ने रविंद्रनाथ महतो के पक्ष में फैसला सुनाया दिया।
क्या है मामला
झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में नाला विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर याचिकाकर्ता संतोष हेंब्रम ने चुनाव लड़ा था। जिसमें संतोष हेंब्रम को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद संतोष हेंब्रम ने वर्ष 2020 में झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और रवींद्रनाथ महतो की निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को दायर कर दी। जिसमें उन्होंने कोर्ट से विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो के निर्वाचन रद्द करने का आग्रह किया था। याचिकाकर्ता संतोष ने कहा कि रवींद्रनाथ महतो ने विधानसभा चुनाव के दौरान पेंपलेट छपवाया था। जिसके आधार पर उनके खिलाफ चुनाव में नाकरात्मक छवि को प्रस्तुत किया गया। इससे उनकी आम जनता के बीच छवि खराब हुई। जिसके वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यह उनके (संतोष) के खिलाफ सोची समझी साजिश थी। इस सब को देखते हुये रविंद्र नाथ महतो के निर्वाचन रद्द किया जाये।