महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर अवमानना वाद चलाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ में मंगलवार को सुनवाई हुई। सभी की दलीलें सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने 1 सितंबर 2021 को एक मामले में सुनवाई के दौरान दोनों पर अवमानना का मामला चलाने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला नहीं बनता है। इसलिए इसे खारिज किया जाए।
बता दें कि जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने अगस्त 2021 को अपने आदेश में कहा था कि महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता ने जो बयान दिया है वह न्यायपालिका की गरिमा धूमिल करने वाला था। उनका कथन एक जज के खिलाफ नहीं बल्कि अदालत के खिलाफ था। अदालत को न्याय का मंदिर माना जाता है लेकिन एक महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता ने जिस तरीके से न्याय के मंदिर की भावना को चोट पहुंचाई उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। दोनों के इस प्रतिकूल व्यवहार के बाद भी अदालत ने अपना पक्ष उन्हें रखने का मौका दिया और इस आचरण के खिलाफ माफी मांगने का अवसर दिया था। दोनों को इस संबंध में शपथ पत्र दर करने को कहा गया था लेकिन उन्होंने इस पर गौर नहीं किया। कोर्ट भी गवाह है कि इन्होंने अदालत और न्यायिक प्रक्रिया का अपमान किया है। इस कारण अदालत दोनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला चलाने का आदेश देती है, ताकि न्याय के इस मंदिर की गरिमा को धूमिल करने का प्रयास नहीं किया जा सके।
साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत मामले में प्रार्थी की ओर से अदालत में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना चलाने के लिए हस्तक्षेप याचिका (आइए) दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार का व्यवहार अदालत की मर्यादा के प्रतिकूल था। इसलिए इनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए। रूपा तिर्की से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 11 अगस्त 2021 को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था। वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है। 200 प्रतिशत इस मामले की सीबीआइ जांच तय है। जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो अदालत से आग्रह होगा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें।
झारखंड हाईकोर्ट : महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार पर आपराधिक अवमानना के खिलाफ दाखिल याचिका के मद्देनजर सुनवाई पूरी, फैसला रखा सुरक्षित, जाने क्या है मामला….
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