सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विधानसभा नियुक्ति घोटाला की सीबीआई जांच पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। जहां सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की याचिका को स्वीकार करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी हैं। दरअसल झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले पर यानी झारखंड विधानसभा में अवैध नियुक्ति की जांच के मांग वाली याचिका पर 23 सितंबर को सुनवाई हुई थी। जिसमें हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के बाद विधानसभा में हुई नियुक्ति, प्रोन्नति और लेनदेन से संबंधित सीडी की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के इस आदेश के आलोक में सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी थी। इसी आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां राज्य सरकार ने झारखंड विधानसभा नियुक्ति व प्रोन्नति घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी थी। इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया हैं। जिसके तहत इस पूरे मामले पर सीबीआई जांच वाले फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी गयी हैं।
क्या है मामला..
झारखंड सरकार ने विधानसभा नियुक्त व प्रोन्नति घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी थी। इस सिलसिले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है। नियुक्ति घोटाले की जांच के आदेश को चुनौती देनेवाली यह दूसरी याचिका थी। इससे पहले विधानसभा की ओर से एक याचिका दायर कर सीबीआई जांच के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया जा चुका है। राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में शिव शंकर शर्मा, विधानसभा सेक्रेटरी जेनरल, सीबीआई निदेशक, विधानसभा स्पीकर, आलमगीर आलम और राज्यपाल के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाया गया हैं।
वहीं,विधानसभा द्वारा दायर याचिका में भी इन्हें ही प्रतिवादी बनाया गया है। इस मामले पर शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2005 से वर्ष 2007 के बीच में विधानसभा में हुई नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है। जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए पहले झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने आयोग का गठन किया। जहां आयोग ने जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट भी सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी। जिसके बाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इस मामले पर सीबीआई से जांच का आदेश दिया था।