झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में गुरुवार को 11,697.45 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट पारित कर दिया गया। सत्र के चौथ यानी आखरी दिन वर्ष 2024-25 के लिए 11,697.45 करोड़ रुपये का बजट वित्त मंत्री राधकृष्ण किशोर 11 दिसंबर को (कल) सदन के पटल पर रखे थे। जिसमें महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को सबसे अधिक 6,390.55 करोड़ और दूसरे स्थान पर ऊर्जा विभाग को 2,577.92 करोड़ रुपये समेत अन्य विभागों के लिए राशि आवंटित किये गये थे। जिस पर आज पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा हुई। जिसके बाद ध्वनिमत से बजट को पास कर दिया गया।
इससे पूर्व बजट पर चर्चा करते हुये बीजेपी विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि राज्यपाल ने कल अभिभाषण में मंईयां सम्मान योजना की राशि देने की बात कहीं हैं। सभी महिलाओं को 2500 रुपये मंईयां सम्मान योजना के तहत राशि दिया जाना हैं। लेकिन सरकार किस टर्म एंड कंडिशन या परिस्थिति में पैसा देगी। यह क्यों नहीं बता रही हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुये कहा कि चुनाव के समय 60 लाख खातों में पैसे डाल दिये गये थे। बहुत जल्द यह आंकड़ा 6 लाख में ही सिमट जायेगा। उन्होंने सरकार से पूछा कि गैस सिलेंडर 450 रुपये में कब से मिलेगा। यह भी सरकार को बताना चाहिए। चुनाव में वादा किया गया था कि 3200 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदा जायेगा। लेकिन अब भी 2,400 रुपये में प्रति क्विंटल धान खरीदा जा रहा हैं। थर्ड और फोर्थ ग्रेड में स्थानीय को सौ फीसदी नौकरी पर कहा कि हेमंत सोरेन ने 2013 और 2019 में भी वादा किया था। इस मसले पर सरकार ने क्या किया, यह किसी से छिपी नहीं हैं। सरकार इस तरह के योजनाओं को लाकर दिग्भ्रमित कर रहीं हैं। उन्होंने सराकर से यह भी पूछा कि सरकार किस नियोजन नीति के तहत नौकरी देगी। राज्य में अभी कौन सी नियोजन नीति लागू हैं।
जेएलकेएम विधायक जयराम महतो ने कहा कि हम भी महिला सम्मान के पक्षधर हैं। लेकिन इसमें दोष भी हैं। बहनों को स्कूल व कॉलेज जाने से पहले ही पैसा देंगे, तो इससे वे पंगु हो जायेगी। यह बहनों को निकम्मा बना की दिशा में पहल हैं। इससे अच्छा होता कि स्कॉलरशिप जरिये ही बहनों को पैसे दिये जाते। 2500 रुपये देने से 18 से 30 साल के बीच की लड़कियों का प्रतिभा उनसे ही छना जा रहा हैं। दरअसल उनका इशारा मंईयां सम्मान योजना के तहत 2500 रुपये को लेकर था। मंईयां सम्मान योजना यदि सही है, तो सभी विधायकों को बस की सुविधा, सभी माननीयों को ट्रेन से रांची आने के साथ-साथ सभी को डीए भत्ता का त्याग करना चाहिए। इस बात की भी जांच हो कि माननीयों के बच्चे सरकारी अथवा गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। अगर इन सभी सवालों की कसौटी पर माननीय खड़े उतरते हैं, तब कहेंगे कि यह मंईयां सम्मान योजना हैं। सम्मान एक रुपता से आती हैं, ना कि प्रलोभन देने से।
इस दौरान वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने सदन को बताया कि द्वितीय अनुपूरक बजट लाने का क्यों मकसद हैं। वित्त मंत्री ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुये कहा कि चुनावी वर्ष होने की वजह से विभागों ने राशि खर्च नहीं कर सकी थी । 1,697 करोड़ रुपये सरेंडर नहीं हुआ हैं। सरकार ने उसे सरेंडर होने से बचाते हुये मंईयां सम्मान योजना और मुफ्त बिजली बिल के लिए इस्तेमाल किया हैं। पूर्व में भी सरकारें ऐसा करती रहीं हैं। कुशल कार्यशैली से चुनावी वर्ष में राज्य सरकार ने 42 प्रतिशत राजस्व का सृजन किया। वित्त मंत्री ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना पर व्यंग करना ठीक नहीं। महिलाएं साधारण बीमारियों के लिए पैसे नहीं जुटा पाती थी, आज इसका सीधा लाभ उन्हें मिल रहा हैं। अब महिलाओं को दवा या फिर अपने बच्चों की जरुरत की चीजों को खरीदने के लिए कही और हाथ फैलाने की आवश्कता नहीं पड़ेगी। यह पैसे बाजार से होते हुये राजस्व के तौर पर वापस सरकार के खजाने में ही आयेगा।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर भाजपा पर निशान साधते हुये कहा कि झारखंड बनने के बाद से अधिकतर समय तक भाजपा की सरकार सत्ता पर रही। जब झारखंड बाल काल में था, तब बीजली और पानी के लिए आपने क्या किया। उस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए भी कुछ नहीं किया गया। जब हमारी सरकार कर रही हैं तो इसका विरोध किया जा रहा हैं। चुनाव के समय भाजपा के पास विकास का कोई संरचना नहीं था। सिर्फ घुसपैठ के सहारे चुनाव लड़ना और इसका परिणाम भी आप देख चुके हैं। हमारी सरकार आम लोगों के कल्याण को लेकर वचनबद्ध हैं।