झारखंड विधानसभा में नियुक्ति अनियमितता मामले में दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस एके राय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार और झारखंड विधानसभा से पूछा है कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में क्या त्रुटियां थी ? जिसके कारण दूसरी कमेटी बनानी पड़ी। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार और झारखंड विधानसभा से जवाब तलब किया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान गवर्नर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि चुकी इस मामले में विधानसभा कार्यालय की संलिप्त थी। इसलिए हाईकोर्ट को पत्र लिखा गया था। इसके बाद लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमेटी बनी थी, उनके इस्तीफा के बाद जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमेटी बनी थी।
इस कमेटी के बाद एसजे मुखोपाध्याय आयोग बनाने के संबंध में गवर्नर को कोई जानकारी नहीं दी गई थी और ना ही इस आयोग को बनाने में गवर्नर की अप्रूवल लिया था। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 16 निर्धारित की है। बता दें कि पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद और एसजे मुखोपाध्याय आयोग रिपोर्ट सीलबंद प्रस्तुत की गई थी।
क्या है मामला :
पिछली सुनवाई में पार्थी के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि पहले मामले की जांच के लिए जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था। जिसने मामले की जांच कर साल 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन 2021 के बाद से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित अधिकारी रिटायर हो जायेंगे।
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