सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सह नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष संजय किशन कौल ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उन्हें स्थापित करने के लिए उनके अधिकारों की रक्षा करनी की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रमुख मुद्दों में से एक बाल श्रम है। देश में अभी भी लाखों बच्चे खतरनाक और शोषणकारी श्रम में कार्यरत हैं। इन बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है। जिससे उनकी भविष्य की संभावनाएं खतरे में पड़ जाती हैं । इसके लिए व्यापक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम, शिक्षा तक पहुंच, कौशल विकास, बाल श्रम के माता-पिता के लिए आजीविका के अवसर और गरीबी के अंतर-पीढ़ीगत चक्र को तोड़ने के लिए परिवारों को सशक्त बनाने की जरुरत है। ये बातें उन्होंने धुर्वा स्थित झारखंड न्यायिक अकादमी में आयोजित झारखंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (झालसा) के बैनर तले ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्यों के लिए आयोजित प्रशिक्षण मॉड्यूल कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कही। कार्यक्रम के तहत झारखंड में उन कमजोर बच्चों की देखभाल के लिए 100 दिनों का एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। जो विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहार के प्रति संवेदनशील हैं। यह अभियान झारखंड सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और बचपन बचाओ आंदोलन के सहयोग से कमजोर बच्चों को एक संदेश भेजने के लिए शुरू किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल (बीच में) और झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा (बाएं) और जसटिस एस चंद्रशेखर (दाएं) । झारखंड न्यायिक अकादमी में ग्राम-स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के सदस्यों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल पुस्तक का विमोचन करते हुए अतिथि
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सह झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार मिश्रा इसे एक ज्वलंत मुद्दा बताते हुए कहा कि दुनिया भर में बच्चे शारीरिक, भावनात्मक और यौन हिंसा के मूक शिकार हैं। भारत इसका अपवाद नहीं है। कानूनी ढांचे पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि 2012 में पोक्सो और 2015 में जेजे का अधिनियमन भारत में बाल अधिकारों के इतिहास में महत्वपूर्ण अधिनियम हैं। उन्होंने बताया कि ये अधिनियम बच्चों के सर्वोत्तम हित का ध्यान रखते हैं। यौन शोषण के संबंध में दो हानिकारक रूढ़ियां मौजूद हैं। पहला यह कि केवल लड़की ही यौन या शारीरिक शोषण का शिकार हो सकती है, लड़का नहीं, और दूसरा यह कि अपराधी बच्चे को नहीं जानते हैं। ये दोनों ही रूढ़ियां गलत हैं।
जस्टिस एस चंद्रशेखर द्वारा परिकल्पित आउटरीच योजना के तहत झालसा अगले 100 दिनों के दौरान सबसे पहले देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान करेगी। इसके बाद उन्हें बाल संरक्षण योजनाओं से जोड़ेगी। जिससे वे कभी भी तस्करी, बाल श्रम का शिकार न हो सकें। झारखंड न्यायिक अकादमी सभागार में गहन अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि अकेले नहीं हैं आप। इस अवसर पर जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस आर मुखोपाध्याय समेत अन्य जजो समेत कई गणमान्य उपस्थित थे।