झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड), चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी ) व राज्य बाल संरक्षण आयोग में रिक्त पदों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में 30 जून 2023 के आदेश का अनुपालन करने के लिए राज्य सरकार ने कोर्ट से समय की मांग की। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई एक सितंबर निर्धारित की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को जमशेदपुर में जेजे बोर्ड में स्थाई प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेने के लिए एक माह का समय दिया था। इसके अलावा राज्य के कई जिलों में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी एवं जेजे बोर्ड में रिक्त पदों को भी एक माह में भरने का निर्देश दिया था। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया था कि राज्य सरकार के कल्याण विभाग के सचिव ने कार्मिक विभाग को रांची एवं जमशेदपुर में जेजे बोर्ड में स्थाई प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट नियुक्ति के लिए पत्र लिखकर अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के एक जनहित याचिका में आदेश के आलोक में रांची एवं जमशेदपुर में प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट का पद सृजित किया जाए और इसे भरा जाए। दरअसल पूर्व की सुनवाई में प्रार्थी के वकील ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में जेजे बोर्ड में कुल 3691लंबित केस है। इनमें से जेजे बोर्ड में सबसे ज्यादा केस रांची में 433 एवं जमशेदपुर में 561 है। प्रार्थी का कहना है कि राज्य में जेजे बोर्ड में अभी जो मजिस्ट्रेट का काम कर रहे हैं वह आधे समय जेजे बोर्ड में रहते हैं और आते समय में सिविल कोर्ट में कार्य करते हैं ।
जिससे जेजे बोर्ड का काम प्रभावित होता है। इसलिए राज्य के जेजे बोर्ड में स्थाई प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति की जाए। जिस पर कोर्ट ने रांची और जमशेदपुर में स्थाई प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। मामले में बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार तिवारी ने पैरवी की। गौरतलब है कि खंडपीठ को पूर्व में बताया गया था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड व सीडब्ल्यूसी अधिकतर पदों पर नियुक्ति कर दी गयी है, लेकिन अब भी कई पद खाली हैं। वहीं राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष व सदस्य का पद कई वर्ष से खाली हैं। पद खाली रहने के कारण आयोग सही तरीके से काम भी नहीं कर पा रहा है।