रांची सदर अस्पताल ने मरीजों को सुविधा देने को लेकर एक बेहतरीन पहल की है। झारखंड के सरकारी अस्पतालों में क्यू आर कोड के माध्यम से पर्ची काटने की व्यवस्था नहीं थी। जिसके बाद सदर ही ऐसा पहला सरकारी अस्पताल है, जो यह सुविधा मुहैया करा रही है। यह आम लोगों से जुड़ी आनोखी पहल है।
इस पूरी योजना पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च की गयी है। अगर सफलता मिलती है, तो इसे पूरी तरीके से धरातल पर लागू कर दिया जाएगा। जिसके तहत राजधानी रांची के सदर सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों को अब लाईन में खड़ा नहीं होना पड़ेगा। इस बाबत सदर प्रबंधक ने अहम बदलाव कर दिए है। जिसके तहत अब क्यू आर कोड की व्यवस्था लागू कर दी गयी है। जिसके बाद अब डॉक्टर से मरीजो को कंसल्ट करने का टोकन दिया जाएगा।
दरअसल नये व्यवस्था के तहत मरीजों के परिजन को ओपीडी कांप्लेक्स में लगे क्यू आर कोड को पहले स्कैन करना होगा। इसके बाद स्कैन के माध्यम से डॉक्टर को दिखाने का नंबर यानी टोकन मिल जाएगा। जिसको लेकर परिजन संबंधित डॉक्टर के चैंबर के बाहर लगे कुर्सियों पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करेंगे।
इस पूरी प्रक्रिया को पेपर लेस बनाया गया है। वहीं, चेकअप करवाने के बाद जांच के लिए पैथोलॉजी विभाग और डॉक्टर द्वारा रेकमेंडेड दवा का प्रिसक्रिप्शन की सूचना मेडिसिन विभाग तक चली जाएगी। वहीं, इस व्यवस्था की शुरु होने से सदर में इलाज कराने वाले मरीजों को घंटों लाइन में खड़े होकर इंतजार करने की जरुरत नहीं होगी। सदर में मरीजों की सुविधा के लिए हॉस्पिटल प्रबंधक समय-समय पर व्यवस्था में बदलाव करते रहते है। यह व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरु की गयी है।
क्यू आर कोड के जरिए कम समय पर डॉक्टर से कंसल्ट कर सकेंगे : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि इस व्यवस्था से मरीजों के साथ उनके परिजनों को सीधा लाभ मिलेगा। अब घंटो लाइन में लगने की जरुरत नहीं है। कम समय में ही मरीज डॉक्टर से कंसल्ट कर सकेंगे। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर क्यू आर कोड सिस्टम सदर अस्पताल में शुरु कर दी गयी है। इसे अगले महीने तक पूर्ण रूप से लागू कर दिया जाएगा। इस व्यवस्था से अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। इस व्यवस्था को अब रिम्स और देवघर के एम्स में भी शुरू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्यू आर कोड में मदद करने के लिए दो स्टाफ वहां मौजूद रहेगे। जो इससे जुड़ी जानकारी और मदद करेगे। मरीजों के परिजन नये व्यवस्था से अपना समय बचा सकेंगे। वहीं , अस्पताल प्रबंधक आसानी के साथ भीड़ नियंत्रण कर सकेगे।