दहेज उत्पीड़न से जुड़े 15 साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान महिला के पति एवं देवर की मौत हो गई। पुलिस चार्जशीटेड एक आरोपी देवर को खोज नहीं पाई। जिंदा बचे दो वृद्ध दंपति (सास-ससुर) को रांची की सीजेएम कोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया। रातू रोड की रहनेवाली जिस महिला ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी, कोर्ट के कई समन के बावजूद गवाही देने नहीं पहुंची। महिला ने मई 2009 में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। केस लंबित रहते सूचक के पति बिहार के हाजीपुर निवासी नरेश चौधरी की मौत 11 अप्रैल 2014 को हो गई थी।
वहीं, पांच साल बाद 30 दिंसबर 2019 को सूचिका के देवर काली प्रसाद चौधरी की भी मौत हो गई। एक देवर रोहित चौधरी को पुलिस खोज नहीं पाई। फैसले के दौरान 70 वर्षीय सूचक के ससुर शरद चौधरी और 65 वर्षीय सास रंभा चौधरी कोर्ट पहुंची। अदालत ने दोनों को बरी कर दिया। मामले में अभियोजन की ओर से एक भी साक्ष्य प्रस्तुत किया नहीं जा सका था। जिसके बाद दोनों को 15 साल बाद कोर्ट के चक्कर से मुक्ति मिली।
जांच अधिकारी ने मृतक को भी दोषी पाकर किया था चार्जशीट :
मामले के जांच अधिकारी ने बंद कमरे में बैठकर जांच पूरी करते हुए दहेज प्रताड़ना के आरोप में पांच के खिलाफ छह साल बाद सितंबर 2015 में चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें महिला के पति नरेश चौधरी को दोषी पाया था। जबकि उनकी मौत 10 अप्रैल 2014 को ही हो चुकी थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया था।
यह है पूरा मामला :
रातू रोड लाह कोठी की रहनेवाली एक महिला ने शादी के 15 साल बाद दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए अपनी पति, दो देवर एवं सास-ससुर के खिलाफ सुखदेव नगर थाना में 8 मई 2009 में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। छह साल बाद मामले के जांच अधिकारी ने जांच पूरी करते हुए 22 सिंतबर 2015 को पांच के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। जिस पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए आरोपियों को समन जारी किया। जिस पर दोनों बुर्जुग दंपति अदालत पहुंचे और दोनों पर 15 अप्रैल 2019 को आरोप तय किया गया। लेकिन दोनों पर आरोप को सिद्ध करने के लिए कोई गवाह नहीं पहुंचा।
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