झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं आनंद सेन की खंडपीठ में दूध में मिलावट सहित मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई हुई। मामले में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि फूड सेफ्टी ऑफिसर एवं इससे संबंधित अन्य पदों पर बहाली को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ा दिया गया है। फूड सेफ्टी ऑफिसर एवं अन्य के 56 रिक्त पदों के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई है। इस पर कोर्ट ने महाधिवक्ता से मौखिक कहा कि लगभग पांच सालों से यह पद रिक्त क्यों है। फूड सेफ्टी ऑफ ऑफिसर नहीं रहने से आम जनता को मिलावटी खाना परोसा जा रहा है, लोग परेशान हैं। इस खाने से लोग बीमारी का भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे में जल्द से जल्द फूड सेफ्टी ऑफिसर की बहाली की जाए। मामले में एमिकस क्यूरी पीयूष पोद्दार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के 24 जिलों में मात्र रांची के नामकुम में फूड लैब है, यह भी पूर्ण रूप से संचालित नहीं है। इसमें फूड टेस्टिंग कर्मी का पद भी रिक्त है। फूड सैंपल कलेक्शन के लिए दो मोबाइल यूनिट है लेकिन इसमें फूड टेस्टिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। राज्य के दूसरे जिलों से फूड सैंपल नामकुम लैब आते-आते फूड सैंपल खराब हो सकता है। इस पर महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जल्द ही फूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति प्रक्रिया सहित अन्य कमियों को दूर कर लिया जाएगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 22 सितंबर निर्धारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि फूड सेफ्टी अफसर एवं इससे संबंधित अन्य पदों पर जो नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है उसकी अद्यतन स्थिति प्रस्तुत करें। पूर्व की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि राज्य में कई जिलों में फूड सेफ्टी अफसर नहीं है। जिस पर सरकार की ओर से कहा गया कुछ सेफ्टी अफसरों की नियुक्ति हुई है और कुछ की नियुक्ति प्रक्रिया जीपीएससी के माध्यम से चल रही है।