झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में सोमवार को राज्य के जिलों में कई मौकों पर अधिकृत अधिकारियों के द्वारा दिए गए इंटरनेट सेवा बंद करने के आदेश को प्रकाशित नहीं करने को लेकर दाखिल सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने झारखंड सरकार को पूर्व में इंटरनेट सेवा बंद करने का जो आदेश उसने दिया था। उसे वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने भविष्य में होने वाले इंटरनेट सेवा बंद करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के अनुराधा बाशिन बनाम केंद्र सरकार की गाइडलाइन का अनुपालन करने का निर्देश दिया है। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया राजधानी रांची सहित राज्य के कई जिलों में हिंसा की आशंका को लेकर इंटरनेट सेवा अचानक बंद कर दी जाती है। इससे संबंधित अधिकारियों के आदेश को प्रकाशित किए बिना शहरों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी जाती है। इससे आम लोगों को इंटरनेट बंद होने की जानकारी नहीं मिल पाती है। जबकि इंटरनेट बंद होने की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए। प्रार्थी का यह भी कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट अनुराधा बाशिन बनाम केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इंटरनेट सेवा बंद होने का संबंधित अधिकारी का आदेश प्रकाशित किया जाना चाहिए, लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं हो रहा है. प्रार्थी ने रांची में 10 जून 2022 को में रोड स्थित हनुमान मंदिर के पास पथराव की घटना सहित हजारीबाग के बरही में 7 फरवरी 2022 को सरस्वती पूजा के विसर्जन के मौके पर दो गुटों में हुई हिंसा के बाद हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा, रामगढ़ में इंटरनेट सेवा बंद कर दे गई थी। प्रार्थी का कहना था कि जिला प्रशासन ने इंटरनेट सेवा बंद का आदेश प्रकाशित नहीं किया गया था। इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश जारी होने को प्रशासन द्वारा प्रकाशित किया चाहिए था। जिससे आम लोगों को इंटरनेट सेवा बंद होने की जानकारी पहले से मिल जाए। कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी।