झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मेडिकल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति को लेकर झारखंड चिकित्सा शिक्षा सेवा नियमावली 2018 की संशोधित नियमावली 2021 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने जेपीएससी द्वारा जारी प्रेस रिलीज पर रोक लगा दी। जेपीएससी ने प्रेस रिलीज जारी किया था, जिसमें झारखंड स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी से ही इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगा गया था। प्रार्थी का कहना था की जेपीएससी की प्रेस रिलीज नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में जारी की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जीपीएससी के इस प्रेस रिलीज पर रोक लगा दी। कोर्ट ने निर्देश दिया है की प्रार्थी यदि विज्ञापन के सारे अर्हता को पूरा करता है और क्वालीफाई करता है तो उसकी उसे नियुक्ति के लिए कंसीडर किया जाए। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार और जेपीएससी से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले के अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी। जानकारी हो कि जेपीएससी ने झारखंड चिकित्सा महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के 110 पदों के लिए विज्ञापन संख्या 6/ 2022 निकला था। प्रार्थी ने याचिका में कहा था की विज्ञापन में झारखंड स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी को नियुक्ति में प्राथमिकता देने की बात कही गई है। प्रार्थी ने संशोधित नियमावली 2021 का हवाला देते हुए कहा कि यह नियमावली संविधान के आर्टिकल 16 के खिलाफ है। नियमावली के कारण कई अभ्यर्थी, जिसमे प्रार्थी भी शामिल है, झारखंड के मूल निवासी हैं और उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई यहीं से की है और चिकित्सा के रूप में यही प्रैक्टिस कर रहे हैं नियुक्ति से बाहर हो गए। प्रार्थी विज्ञापन के मापदंड को पूरा करते हैं उसे काउंसलिंग में भी बुलाया गया लेकिन नियुक्ति नहीं हो पाई। नियमावली के तहत केवल सरकारी चिकित्सकों को ही इस नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। विज्ञापन में कहीं भी इस प्राथमिकता के बारे में व्याख्या नहीं किया गया है। बाद में जेपीएससी ने प्रेस रिलीज कर यह बताया कि झारखंड स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी से ही इस पद के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगा गया था। प्रेस रिलीज नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में जारी की गई। यह याचिका मनीष कुमार मुंडा एवं अन्य की ओर से दाखिल की गई है।