झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में मंगलवार को हजारीबाग के तापिन साउथ प्रोजेक्ट सीसीएल, चरही के विस्थापितों द्वारा 187 दिनों से अपनी मांगों को लेकर किए गए धरने के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा उनसे मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच करने का आग्रह करने वाली क्रिमिनल रिट की सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद याचिका निष्पादित कर दी। कोर्ट ने प्रार्थी को छूट दी कि वह मामले में दर्ज अनुसंधान में अपनी बात रख सकता है। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी का अनुसंधान अभी चल रहा है। यह याचिका शक्ति देवी एवं अन्य की दाखिल की गई थी। दरअसल, तापीन साउथ प्रोजेक्ट सीसीएल के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर 22 अगस्त 2022 से विस्थापित / प्रभावित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले धरना दे रहे थे। धरना के 187 दिन 20 फरवरी 2023 को असामाजिक तत्वों ने धरना कर कर रहे हैं लोगों के साथ मारपीट की। लेकिन पुलिस ने धरना दे रहे विस्थापितों के खिलाफ ही तीन प्राथमिक की दर्ज की। पुलिस ने मामले में धरना दे रहे 43 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। विस्थापितों का कहना था कि जिन असामाजिक तत्वों ने उन्हें पीटा है उनके खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इस मारपीट की घटना में सीसीएल के अधिकारी एवं पुलिस प्रशासन की संलिप्तता थी। इसलिए 20 फरवरी 2023 की विस्थापितों के साथ मारपीट की घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए।