झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को राज्य में एमपी/एमएलए की विशेष अदालत में सासंदों और विधायकों पर केस के त्वरित निष्पादन से जुड़े स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में सीबीआई की ओर से शपथपत्र के माध्यम से केस का स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत किया। सीबीआई की ओर से बताया गया कि पिछले दो साल में सांसद-विधायकों के खिलाफ दर्ज केस का निष्पादन नहीं हुआ है। इस पर अदालत ने सीबीआई के जवाब पर असंतुष्टि जताते हुए कहा मामले में अब एसपी रैंक के नीचे के अधिकारी हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल नहीं करें। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा, जो जानकारी मांगी है उस मामले में शपथपत्र दाखिल करनेवाले कम से कम एसपी रैंक के अधिकारी होने चाहिए।
कोर्ट ने सीबीआई के साथ ईडी को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में केस की विस्तृत शपथपत्र दाखिल करें। जिसमें राज्य भर में कितने केस सांसद-विधायकों से जुड़े लंबित है और उसकी सुनवाई की स्थिति क्या है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि लंबित केस में सुनवाई में तेजी लाएं। ट्रायल के दौरान गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करें ताकि समय से गवाही पूरी हो सके। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 8 मई निर्धारित की है। उस तारीख से पहले सीबीआई और ईडी को जवाब दाखिल कर देना है। यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एमपी/एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन को लेकर सभी हाईकोर्ट को दिशा निर्देश दिया है। जिस पर राज्य में सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे केस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही है।