झाखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ में सोमवार को रिम्स में ट्यूटर नियुक्ति के लिए 3 वर्ष की अवधि निर्धारित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है। पूर्व में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुरक्षित फैसला सोमवार को सुनाया गया। इस संबंध को लेकर रेखा शर्मा समेत अन्य की दाखिल याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश ने अदालत में दलीलें दी थी कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति उस समय में है,जब विज्ञापन जारी हुआ था, उसे विज्ञापन के आधार पर तीन साल की अवधि के लिए की गई थी। विज्ञापन के शर्त को देखकर ही नौकरी में आई थी। इसलिए उनका यह कहना की तीन वर्ष संबंधी नियम बाद में बना है, उन पर लागू नहीं होगा। यह गलत है उन्होंने अदालत से याचिका को खारिज करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभय प्रकाश ने अदालत को जानकारी दी कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जो ट्यूटर नियुक्ति के लिए 3 वर्ष की अवधि निर्धारित की गई यह गलत है। नियम के अनुकूल नहीं है इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि वह वर्ष 2007 से नौकरी में है। यह नियम 2014 में बना नियम बाद में बना है। वह पहले से कम कर रहे कर्मचारियों पर लागू नहीं होना चाहिए।