हेपेटाइटिस बी के मरीज झरखंड में ज्यादा है। इसका मुख्य वजह अधिक शराब लेना, फैटी लिवर डिजीज और हानिकारक दवाईयों का सेवन है। वही, झारखंड भी इस बिमारी से अछुता नहीं है। प्रदेश के पाकुड़, गढ़वा और हजारीबाग क्षोत्रों में इस बिमारी के मरीजों की संख्या अधिक मौजूद है। हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षण ना के बराबर या नजर नहीं आने के कारण खतरा बढ़ जाता है। खराब खानपान, अव्यवस्थित जीवनशैली कई रोगों का कारण बनती है। खासकर दूषित पानी और खाद्य पदार्थ सीधे लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसी वजह से हेपेटाइटिस बीमारी हो जाती है। जनपद में बाढ़ बारिश के कारण अधिकतर इलाकों के लोग दूषित पानी और खाद्य सामग्री खाने को मजबूर है। इसके अलावा फास्ट फूड के रेहड़ियों पर भी पानी और खाद्य सामग्री की स्वच्छता पर ध्यान नहीं रखा जाता।
बारिश के दिनों में तो लापरवाही और बढ़ जाती है। ऐसे में इस मौसम में हेपेटाइटिस से ग्रसित होने की अधिक आशंका रहती है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी जागरूकता की कमी के कारण फैलती है। लोगों को जागरूक करने के लिए ही प्रति वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। यह लिवर से जुड़ी बीमारी है। लिवर हमारे खून में से दूषित पदार्थो को साफ करने के साथ ही भोजन पचाने की प्रक्रिया में मदद करता है। हेपेटाइटिस होने पर संक्रमण के कारण लीवर में सूजन आ जाती है। यह गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज आम मरीजों के लिए काफी महंगा होता है।
लक्षण
फिजीशियन डॉ. गौरव भारद्वाज ने बताया कि हेपेटाइटिस में मरीज को पीलिया की बीमारी के लक्षण, उल्टी, मिचली, पेट में दर्द और जोड़ों-मांसपेशियों में दर्द महसूस हो सकता है। उल्टी, भूख न लगना ज्यादा थकावट, पेट में दर्द और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण सामान्य हैं। हालांकि हर मरीज को ये लक्षण महसूस हों ये जरूरी नहीं है।
पांचों प्रकार के हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं, जिनमें ए, बी, सी, डी, ई शामिल हैं। पांचों प्रकार के हेपेटाइटिस खतरनाक है। डॉ. गौरव भारद्वाज ने बताया कि एक्यूट हेपेटाइटिस में अचानक लीवर में सूजन आती है, जिसके लक्षण 6 महीने तक रहते हैं। इलाज होने पर रोग धीरे धीरे ठीक होने लगता है। एक्यूट हेपेटाइटिस आमतौर पर एचआईवी इंफेक्शन के कारण होता है। दूसरा क्रॉनिक हेपेटाइटिस है, जिसमें इंफेक्शन रोगी के इम्यून सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करता है।
हेपेटाइटिस होने के कारण
– अधिक शराब का सेवन करने से हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ता है। एल्कोहल लिवर को सीधे प्रभावित करती है।
– दूषित खाना और दूषित पानी का सेवन, संक्रमित खून के चढ़ने और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी हेपेटाइटिस बी हो सकता है।
– ज्यादा दवाइयों के सेवन से भी लिवर में सूजन आने लगती है और हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस से कैसे बचें
– बच्चों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं।
– हमेशा स्टरलाइज अथवा नए इंजेक्शन का प्रयोग करें।
– खुद के रेजर-ब्लेड का प्रयोग करें।
– टैटू गुदवाते समय या शरीर में चुभने वाले औजारों से सतर्क रहें।
– डॉक्टर की राय से एंटीबॉडीज के लिए इम्युनोग्लोब्युलिन का इंजेक्शन ले सकते हैं।