झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में शुक्रवार को रांची नगर निगम के पार्षदों ने जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग को लेकर दायर रिट याचिका पर सुनवाई हुई ।मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि राज्य सरकार जानबूझकर चुनाव नहीं करवाना चाहती है। इसलिए जब तक चुनाव नहीं हो जाता है तब तक पूर्व पार्षद को ही काम करने का मौका दिए जाने की मांग की। अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से जानना चाहा कि कब तक चुनाव होगा। जिस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने अदालत को बताया कि ओबीसी को आरक्षण दिए जाने को लेकर डेडीकेटेड कमीशन का गठन कर दिया गया है। जिस पर प्रार्थी अधिवक्ता ने कहा कि कमीशन का तो गठन हो गया है । लेकिन अध्यक्ष का अब तक नियुक्ति नहीं हुई है । अदालत में मामले की गंभीरता को देखते हुए मौखिक रूप से कहा कि सरकार यह बताएं कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए जो गठित की गई है कमीशन उसके चेयरमैन का नियुक्ति कब तक होगा अन्यथा विभाग के सचिव अदालत में उपस्थित होकर जवाब दें। मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर तय की गई है।
बता दें कि रांची नगर निगम का समय पर चुनाव नहीं कराया गया है। समय पूर्ण हो जाने के बाद पार्षद का अधिकार लेकर नगर निगम के अधिकारी को दिया गया है। सरकार की इसी आदेश के बाद रांची नगर निगम के कई पार्षदों ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी गई है कि झारखंड सरकार ने पार्षद के अधिकार को नगर निगम के अधिकारी को दे दिया है। यह गलत है। सरकार को नगर निगम का समय पर चुनाव कराना चाहिए लेकिन सरकार ने नगर निगम का समय पर चुनाव नहीं करा कर चुनाव को लंबित कर दिया है। चुने गए पार्षद को हटाकर उसका अधिकार अधिकारी को दिया गया है यह गलत है। सरकार को शीघ्र चुनाव करवाना चाहिए संविधान के अनुरूप 5 साल में चुनाव हो जाना चाहिए। नगर निगम के नियम के अनुसार धारा 20 में भी यही कहता है कि चुनाव समय पूर्ण होने से पूर्व ही हो जाना चाहिए चुनाव करवाना संवैधानिक बाध्यता है। संविधान की धारा 243 यही कहता है पार्षदों ने अदालत से यह मांग की है कि जब तक सरकार चुनाव नहीं कराती है । तब तक उन्हें काम करने के लिए अवधि विस्तार दिया जाना चाहिए। क्योंकि जनता का कारण सबसे सरल रूप से पार्षद ही कर सकता है।