झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासी समाज की डेमोग्राफी प्रभावित वाली याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई दौरान शपथ पत्र दाखिल नहीं करने को लेकर संबंधित एजेंसियों पर नाराजगी जाहिर की। वहीं, खंडपीड ने मौखिक रुप से टिप्पणी करते हुये कहा कि झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या कम होती जा रही है। इसके बावजूद केंद्रीय संस्थानों की ओर से इस संवेदनशील मसले पर जवाब तक दाखिल नहीं किया जा रहा हैं।
दरअसल हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले में बीएसएफ डायरेक्टर, यूआईडीएआई डायरेक्टर, मुख्य सूचना आयुक्त, आईबी डायरेक्टर और एनआईए डायरेक्टर को प्रतिवादी बनाया था। जिसमें अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल कर जवाब देने को कहा गया था। लेकिन इसके बावजूद आज की सुनवाई में संबंधित संस्थानों ने शपथ पत्र दायर नहीं किया। जिसके बाद इन संस्थानों ने हाईकोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा हैं। इस पर कोर्ट नाराजगी जताते हुये दो सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दायर करने को कहा। अब इस मामले पर कोर्ट में अगली सुनवाई 5 सितंबर को किया जाना हैं।
बता दें कि याचिकाकर्ता दानियल दानिश अपने अधिवक्ता के माध्यम से राष्ट्रीय जनगणना का हवाले देते हुये बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासी समाज की डेमोग्राफी प्रभावित के मसले पर याचिका दायर की हैं। जिसमें उन्होंने संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी समाज की लगातार घटती आबादी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यही हाल रहा, तो आने वाले समय में इस क्षेत्र से आदिवासी समुदाय का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा। जिसपर सुनवाई की जा रही हैं।