झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में राज्य के अस्पतालों, प्राइवेट क्लिनिक, नर्सिंग होम से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर दाखिल झारखंड ह्यूमन राइट कॉन्फ्रेंस, नामक संस्था की जनहित याचिका की सुनवाई हुई । खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर यह बताने को कहा है कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जा सकता है । इस पर अपना जवाब दायर करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता समावेश भंज ने पक्ष रखा। पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने स्टेट लेवल इन्वायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी ( सिया) की ओर से झारखंड में 11 जिलों में बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से संबंधित स्टेट्स बताया गया। बताया गया कि धनबाद, लोहरदगा सरायकेला- खरसावां में बायोमेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिल चुका है, ट्रीटमेंट प्लांट लगाने कार्य प्रगति पर है।
वहीं पाकुड़, देवघर पलामू, दुमका में अभी तक एनवायरमेंटल क्लीयरेंस नहीं दिया गया है। इस पर कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन सप्ताह में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से संबंधित अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इन्हें बताने को कहा है कि बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांट कहां -कहां लग गया है और कहां-कहां इसे शुरू नहीं किया गया है। इन सारी बातों की विस्तृत जानकारी देने को कहा है। बता दें कि प्रार्थी ने याचिका में झारखंड में एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का आग्रह किया है। कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों क्लिनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन के लिए एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में लागू होना चाहिए।